90 प्रतिशत शांतिप्रिय किसान आंदोलन को जारी रखने के पक्ष में नहीं हैं; विवेकपूर्ण नागरिकों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की सराहना करनी चाहिएः बीसीआई अध्यक्ष

Update: 2021-01-13 13:45 GMT

बुधवार को बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने कहा कि,''हर कोई जानता है कि 90 प्रतिशत शांतिप्रिय किसान सुप्रीम कोर्ट के स्थगन आदेश के बाद, आंदोलन जारी रखने के पक्ष में नहीं हैं, लेकिन निहित स्वार्थ वाले व्यक्ति देश की डी-स्टैब्लिशिंग की कीमत पर भी अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं।''

मिश्रा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का तीनों कृषि कानूनों पर रोक लगाने का फैसला एक ऐतिहासिक कदम है और किसानों को अब अपना आंदोलन स्थगित करना चाहिए।

हालांकि, उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ कुछ राजनेताओं द्वारा गैरजिम्मेदाराना टिप्पणी की गई हैं,जो हमारे संस्थानों और राष्ट्र को अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए कमजोर करने पर तुले हुए हैं।

इस प्रकार उन्होंने नागरिकों से अपनी चुप्पी तोड़ने और देश को संभावित उथल-पुथल से बचाने का आग्रह किया है।

पत्र में कहा गया है कि,''ईमानदार,निष्ठावान और समझदार नागरिकों को अब आगे आना चाहिए और आंदोलनकारी किसानों को सर्वोच्च न्यायालय के अंतिम निर्णय तक अपना आंदोलन स्थगित करने के लिए मना लेना चाहिए। हम यह समझने में नाकाम हैं कि जो लोग मीडिया में भद्दी और अपमानजनक टिप्पणियां कर रहे हैं, वे क्यों अदालत के सामने अपना पक्ष रखने के लिए पेश नहीं हुए? अगर किसी के पास भी समिति के गठन के खिलाफ कोई आधार है तो कानून का पालन करने वाले हर नागरिक के लिए उपलब्ध एकमात्र सहारा सुप्रीम कोर्ट से संपर्क करना और आदेश के संशोधन के लिए अनुरोध करना है। लेकिन, ये तथाकथित समस्या का समाधान नहीं चाहते हैं, बल्कि उनका एकमात्र मकसद आंदोलन का फायदा उठाना है और आंदोलनकारी किसानों को गुमराह करना है।''

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अगले आदेश तक तीनों कृषि कानूनों के संचालन पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने एक समिति का भी गठन किया है,जिससे सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच गतिरोध का समाधान होने की उम्मीद है।

इसका उल्लेख करते हुए, मिश्रा ने अपने पत्र में कहा कि,

''देश के विवेकपूर्ण नागरिकों को किसान आंदोलन के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की सराहना करनी चाहिए। हमारे सर्वोच्च न्यायालय ने जो कदम उठाया है वह एक ऐतिहासिक कदम है और यह राष्ट्र के हित में है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का मकसद सबसे पहले आंदोलनकारी किसानों, बुजुर्गों, महिलाओं, बच्चों को कड़ी ठंड और मौसम की स्थिति और कोरोना से उनकी जान बचाना है। यह आदेश बुजुर्ग लोगों की मौत के मामलों को देखते हुए पारित किया गया है, जिन्होंने लंबे समय से चल रहे आंदोलन, कड़ी ठंड के कारण और आत्महत्या करके अपनी जान गंवा दी हैं।''

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