35 साल की विधवा को किसी अनजान व्यक्ति के साथ विवाह से पहले सेक्स संबंध बनाने के दूरगामी नतीजे समझना चाहिए : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बलात्कार के आरोपी को ज़मानत दी

Update: 2021-10-31 09:16 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक मामले में 35 साल की एक विधवा के साथ शादी का झूठा वादा करके शारीरिक संबंध बनाने के आरोपी एक व्यक्ति को जमानत देते हुए कहा कि कथित बलात्कार पीड़िता एक 35 वर्षीय विधवा महिला को किसी अज्ञात व्यक्ति के साथ विवाह पूर्व यौन संबंध बनाने के दूरगामी नतीजों को समझना चाहिए।

न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी की खंडपीठ ने यह भी रेखांकित किया कि पीड़िता ने खुद पर बलात्कार के आरोपों की पुष्टि करने के लिए किसी भी तरह के मेडिकल टेस्ट कराने से खुद इनकार कर दिया था।

यह है मामला

एफआईआर के अनुसार, 2016 में पीड़िता/विधवा के पति की मृत्यु के बाद, उसने अपीलकर्ता/आरोपी के साथ आत्मीयता संबंध बढ़ाए और महिला को उससे प्यार हो गया। कथित तौर पर अपीलकर्ता ने उससे शादी करने के झूठे वादा करके उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए, जो बिना किसी प्रतिरोध या आपत्ति के दो साल तक चलते रहे।

हालांकि बाद में अपीलकर्ता महिला से शादी करने के अपने वादे से मुकर गया और उसे गाली देना और अपमानित करना शुरू कर दिया। आरोपी ने कथित रूप से महिला को जान से मारने की धमकी भी दी। इसके बाद महिला ने उसके खिलाफ बलात्कार के अपराध का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करवाई।

आरोपी के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में आरोपी/अपीलकर्ता पर धारा आईपीसी की धारा 376, धारा 504, धारा 506 और अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति अधिनियम की धारा 3 (2) 5 के तहत मामला दर्ज किया गया।

चूंकि विशेष न्यायाधीश, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम, कानपुर नगर ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी, इसलिए आरोपी/अपीलकर्ता ने निचली अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का रुख किया।

तर्क

अपीलकर्ता/अभियुक्त के वकील ने प्रस्तुत किया कि सीआरपीसी की धारा 164 के तहत अपने बयान में, पीड़िता ने एफआईआर के संस्करण को स्वीकार किया और दोहराया, लेकिन उसने अपना मेडिकल टेस्ट करवाने से इनकार कर दिया, जो उसके द्वारा एफआईआर में लगाए गए बलात्कार के आरोप को स्थापित करने के लिए आवश्यक था। साथ ही वकील ने कहा कि अपीलकर्ता 06.12.2020 से जेल में बंद है।

दूसरी ओर विरोधी पक्ष संख्या 2/विधवा के वकील ने तर्क दिया कि एक निराश्रित विधवा महिला की स्थिति का शोषण करते हुए अपीलकर्ता द्वारा एक झूठा वादा किया गया और उसका विश्वास जीतने के बाद उसने बेरहमी से उसका शोषण किया। इसके बाद आरोपी ने महिला को अपने जीवन से बेदखल कर दिया।

कोर्ट का आदेश

दोनों पक्षों की प्रतिद्वंदी दलीलों को सुनने के बाद, कोर्ट का विचार था कि एक विधवा होने के नाते, जो एक 35 वर्षीय महिला को किसी अज्ञात व्यक्ति के साथ विवाह पूर्व यौन संबंध के दूरगामी प्रभावों को समझना चाहिए।

अदालत ने आगे कहा,

"इसके अलावा, पीड़िता ने खुद को किसी भी मेडिकल जांच से मना कर दिया, जिससे उसके साथ बलात्कार के तथ्य का पता लगाया जा सकता था।"

कोर्ट ने ज़मानत स्वीकार करते हुए कहा,

"मामले में अपराध की प्रकृति, साक्ष्य, अभियुक्त की संलिप्तता, पक्षकारों के विद्वान वकीलों के निवेदन, अपीलकर्ता द्वारा जेल में बिताई गई अवधि को ध्यान में रखते हुए और मामले के गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त किए बिना न्यायालय इसे जमानत देने के लिए एक उपयुक्त मामला पाता है।"

केस का शीर्षक - दुर्गेश त्रिपाठी @ राम बनाम यू.पी. राज्य और अन्य

आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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