ऑफ़लाइन मोड और परीक्षा केंद्रों की सीमित संख्या में परीक्षाओं के संचालन के खिलाफ 160 छात्रों ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का रुख किया

Update: 2021-01-23 12:54 GMT

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत 160 छात्रों द्वारा रिट याचिका दायर की गई है। यह याचिका देश भर में आयोजित की गई ऑफलाइन मोड में परीक्षा और सीमित परीक्षा केंद्रों के माध्यम से परीक्षाओं के संचालन के खिलाफ दायर की गई है।

याचिका एडवोकेट तन्वी दुबे, एडवोकेट संजय कुमार दुबे और एडवोकेट प्रियव्रत पाराशर के माध्यम से दायर की गई है।

इस मामले को कल हाईकोर्ट द्वारा उठाए जाने की संभावना है।

याचिका की पृष्ठभूमि

याचिकाकर्ता, पटियाला के थापर इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के छात्र हैं, जो संस्थान द्वारा जारी किए गए ईमेल नोटिस से असहमत हैं। इस नोटिस में 25 जनवरी 2021 को अंतिम सेमेस्टर परीक्षा शुरू होने की अपेक्षित तिथि बताया गया है।

मेल में दी गई सूचना के मुताबिक छात्रों को महामारी के मद्देनजर भारी जोखिम के साथ ही अंतिम सेमेस्टर परीक्षा को ऑफलाइन मोड में आयोजित परीक्षा में बैठना अनिवार्य होगा। याचिकाकर्ताओं के अनुसार, यह स्वास्थ्य के अधिकार के बुनियादी सिद्धांत का उल्लंघन है, जो जीवन के अधिकार का एक महत्वपूर्ण पहलू है।

याचिका में कहा गया है कि,

"देश में 10.5 मिलियन से अधिक मामलों और 152000 से अधिक मौतों के साथ COVID-19 मामलों की संख्या में बढोत्तरी हुई है। विशेष रूप से पंजाब राज्य में 5,485 से अधिक मौतों के साथ कुल मामलों की संख्या 170000 को पार कर गई है। "

याचिकाकर्ताओं के अनुसार, यूजीसी दिशानिर्देशों ने चल रही महामारी को देखते हुए परीक्षा आयोजित करने के लिए ऑफलाइन या ऑनलाइन या मिश्रित (ऑनलाइन और ऑफलाइन) मोड का विकल्प दिया था।

याचिका में आगे कहा गया कि,

"यह ध्यान देने योग्य है कि हजारों छात्रों के जीवन, सुरक्षा और स्वास्थ्य की पूर्ण अवहेलना में लिया गया निर्णय, जो हजारों उपस्थित लोगों के जीवन के लिए बेहद खतरनाक है। इसके साथ ही साथ ही यह उन प्रोफेसरों के लिए भी बेहद खतरनाक है, जो परीक्षा में शामिल होंगे। "

मेडिकल सुपरस्पेशिलिटी एस्पिरेंट्स एंड रेजिडेंट्स बनाम यूनियन ऑफ इंडिया, (2019) 8 SCC 607 मामले के फैसले पर भरोसा जताया गया। इसमें शीर्ष न्यायालय ने कहा था कि राइट टू लाइफ में स्वास्थ्य का अधिकार शामिल है।

मामले का महत्वपूर्ण बिंदु

1. क्या अधिसूचना के मुताबिक 25.12.2020 को ऑफलाइन मोड में परीक्षा को अनिवार्य रूप से आयोजित किया जा सकता है, जबकि सभी सत्रों, कक्षाओं आदि का संचालन वर्चुअल मोड में किया गया है और अगले सत्र के लिए भी कक्षाओं को वर्चुअल मोड में आयोजित किया जाना है?

2. क्या दिनांक 01.01.2021 की अधिसूचना पूरे देश में केवल 35 केंद्रों के लिए ही मान्य है, यह देखते हुए कि उनके राज्य के कई उम्मीदवारों के लिए कोई केंद्र नहीं हैं?

3. क्या दिनांक 25.12.2020 और 01.01.201 की अधिसूचना छात्रों की दुर्दशा और यात्रा, आवास आदि के संदर्भ में व्यावहारिक कठिनाइयों का सामना करने में विफल रही है?

4. क्या ऑफ़लाइन परीक्षा के संबंध में अनिवार्य दिशा-निर्देश पारित करते समय उत्तरदाता संख्या 1, दिनांक 25.12.2020 की अधिसूचना को रद्द कर दिया गया था, जो व्यावहारिक कठिनाइयों पर विचार करने में विफल रहा, जो कि याचिकाकर्ताओं और इसी तरह के कई अन्य छात्रों द्वारा सामना किया जाएगा और आगे इस पर विचार करने में विफल रहा है। COVID-19 वायरस की खतरनाक वृद्धि के कारण छात्रों का मूल्यांकन अंतिम सेमेस्टर के दौरान भी एक वैकल्पिक मोड में किया जा सकता था?

5. क्या याचिकाकर्ताओं के मौलिक अधिकार का उल्लंघन हुआ?

याचिकाकर्ताओं की प्रथनाएं

1. ऑफ़लाइन मोड में परीक्षा आयोजित करने के लिए दिनांक 25.12.2020 को संस्थान द्वारा जारी अधिसूचना को खत्म या निर्धारित करने के लिए मंडमस रिट या उचित आदेश जारी करना चाहिए।

2. ऑनलाइन मोड में परीक्षा आयोजित करने के लिए दिनांक 25.12.2020 को प्रदान किए गए परिपत्र को संशोधित करने के लिए संस्थान को निर्देश देने वाले मंडमस रिट या उचित आदेश जारी करना होगा।

3. दिनांक 25.12.2020 के अनुसार, स्वास्थ्य के कारणों या सेल्फ क्वारैंटाइन की वजह से जो छात्र ऑफलाइन मोड में आयोजित परीक्षा में बैठने में असमर्थ हो, उन छात्रों को ऑनलाइन मेंड में परीक्षा देने की अनुमति के लिए आदेश जारी किया जाना चहिए।

4. देश भर में परीक्षा केंद्रों की संख्या बढ़ाने के लिए निर्देस दिया जाए, जो कि वर्तमान में 35 शहरों तक सीमित है।

5. छात्र के पिछले प्रदर्शन के आधार पर छात्रों के मूल्यांकन के लिए मापदंडों का एक सेट प्रस्तुत करने के लिए उत्तरदाता नंबर 1 के लिए प्रतिवादी नंबर 2 को निर्देशित करना चाहिए।

6. पिछले सेमेस्टर में प्रदर्शन के आधार पर छात्रों को बढ़ावा देने के लिए सभी उत्तरदाताओं के लिए पिछले सेमेस्टर में प्राप्त अंक के औसत और अंतिम सेमेस्टर के अंकों की गणना के आधार पर पास करने के लिए निर्देश दिया जाए।

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