शिक्षक की बर्खास्तगी के खिलाफ निजी स्कूल की प्रबंधन समिति की रिट याचिका सुनवाई योग्य नहीं : SC ने पटना हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा [आर्डर पढ़े]
सुप्रीम कोर्ट ने पटना उच्च न्यायालय के उस फैसले को बरकरार रखा है जिसमें यह कहा गया है कि एक निजी स्कूल की प्रबंधन समिति भारत के संविधान के अनुच्छेद 12 के अर्थ के भीतर "राज्य" नहीं है और उसकी रिट याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।
क्या था यह पूरा मामला ?
दरअसल एक निजी स्कूल में कार्यरत संस्कृत शिक्षक त्रिगुण चंद ठाकुर को स्वतंत्रता दिवस और शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर अनुपस्थित रहने के लिए प्रबंधन द्वारा बर्खास्त दिया गया था। इसके खिलाफ चुनौती को पटना उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया। एकल पीठ ने कहा कि निजी स्कूल की प्रबंध समिति द्वारा शिक्षक की बर्खास्तगी से संबंधित मामलों में रिट याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।
पटना हाइकोर्ट का फैसला
उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने एकल पीठ के फैसले को बरकरार रखते हुए चंद्र नाथ ठाकुर बनाम बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड और अन्य, 1999 (1) पीएलजेआर 529 में अपने पहले के फैसले का उल्लेख किया और यह कहा कि एक निजी रूप से संचालित स्कूल का शिक्षक, भले ही स्कूल राज्य सरकार या बोर्ड द्वारा वित्तीय सहायता प्राप्त हो, प्रबंधन समिति द्वारा पारित सेवा से समाप्ति के आदेश के खिलाफ एक रिट याचिका दाखिल नहीं रख सकता।
SC ने HC का फैसला रखा बरकरार
हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर अपील को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति आर. बनुमथी और न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना की पीठ ने यह कहा कि हमें अलग राय लेने के लिए कोई आधार नहीं मिला है।
पूर्व में आपसी सहमति से रिट याचिका को निपटाया गया
दरअसल ठाकुर ने पहले एक रिट याचिका दायर की थी, जिसे दोनों पक्षों की सहमति से निपटाया गया था कि शिक्षक बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष के समक्ष अपने अधिकारों के लिए प्रतिनिधित्व कर सकते हैं और बोर्ड के अध्यक्ष अपीलार्थी के प्रतिनिधित्व पर विचार करेंगे और कानून के अनुसार उस का निपटारा करेंगे।
बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष ने यह पाया था कि सेवा से बर्खास्त करने की उनकी सजा असंगत थी और उन्हें बहाल करने का निर्देश दिया गया था। विशेष निदेशक (माध्यमिक शिक्षा) ने प्रबंधन द्वारा दायर अपील में, मामले को पुन: अपील में लिए गए आधार के आलोक में पुनर्विचार करने के निर्देश के साथ बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष को वापस भेज दिया था।
हालांकि इससे पहले यह बताया गया था, लेकिन खंडपीठ ने माना कि HC द्वारा पारित सहमति आदेश C.W.J.C. 1994 का NO.10698 इस न्यायालय पर अधिकार क्षेत्र प्रदान नहीं कर सकता और भारत के संविधान के अनुच्छेद 12 के अर्थ में प्रबंध समिति को "राज्य" नहीं बनाता है।
इसी साल SC में आया था ऐसा ही एक और मामला
इस साल की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट की एक अन्य न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ एक निजी स्कूल मारवाड़ी बालिका विद्यालय की एक अपील को खारिज कर दिया था, जिसमें भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत रिट अधिकार क्षेत्र को लागू करके आशा श्रीवास्तव नाम की एक बर्खास्त शिक्षक की बहाली का निर्देश दिया था।
अपील को खारिज करते हुए पीठ ने राज कुमार बनाम शिक्षा निदेशक और अन्य के फैसले का हवाला दिया, जिसमें यह कहा गया था कि एक निजी स्कूल कर्मचारी को बर्खास्त करने के लिए भी सरकारी शिक्षा अधिकारियों की मंजूरी आवश्यक थी।