मध्यस्थता समझौते को तुरंत प्रभावी करना चाहिए : SC ने एक साल की देरी से मामला सूचीबद्ध करने पर रजिस्ट्री की खिंचाई की [आर्डर पढ़े]

Update: 2019-07-17 07:00 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में समझौता होने के 1 साल बाद एक सुलझे हुए मामले को सूचीबद्ध करने के लिए रजिस्ट्री की जमकर खिंचाई की।

दरअसल अदालत पिछले साल मध्यस्थता के लिए एक वैवाहिक मामले का उल्लेख कर रही थी। यह समझौता 10 मई, 2018 को दर्ज किया गया था और 1 सप्ताह बाद 16.5.2018 को अदालत ने गर्मियों छुट्टी के बाद मामले को सूचीबद्ध करने के लिए निर्देश जारी किया था।

जब सोमवार को कोर्ट में मामला आया तो न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ की पीठ ने केस निपटारे को दर्ज किया और पक्षों को निपटारे की शर्तों का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया।

बेंच ने तब कहा :

"हालांकि एक पहलू है, जो हमें परेशान करता है। निपटारे को 10 मई, 2018 को दर्ज किया गया था। 16.5.2018 को इस अदालत द्वारा छुट्टी के बाद मामले को सूचीबद्ध करने के लिए निर्देश जारी किया गया था। इस मामले को 1 वर्ष के बाद सूचीबद्ध किया गया है, मतलब दूसरी गर्मियों की छुट्टी के बाद। यह कहना सही है कि मध्यस्थता निपटारे को तुरंत प्रभाव दिया जाना चाहिए। हमें कोई कारण नहीं दिखता कि वर्ष 2018 की गर्मियों में अवकाश के बाद मामले को जल्द से जल्द सूचीबद्ध करने में एहतियात नहीं बरती जानी चाहिए थी। इसे सूची से क्यों हटाया जाना चाहिए था।"

पीठ ने इस मुद्दे को 'गंभीर' करार दिया और कहा कि संबंधित रजिस्ट्रार को इस मामले पर गौर करना चाहिए कि अदालत के समक्ष सूचीबद्ध करने के बारे में अदालत के ऐसे विशिष्ट निर्देशों का कड़ाई से पालन क्यों नहीं किया जा रहा है। पीठ ने 4 सप्ताह के भीतर प्रशासनिक पक्ष पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के साथ-साथ इस संबंध में जिम्मेदारी तय करने के निर्देश दिए हैं।


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