कोई उम्मीदवार अगर आरक्षित वर्ग में आयु छूट ले चुका है तो वो सामान्य श्रेणी की सीट पर प्रवेश नहीं ले सकता : SC [निर्णय पढ़े]

Update: 2019-07-09 16:12 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को यह कहा है कि कोई उम्मीदवार जो एक आरक्षित वर्ग से संबंधित होने के चलते चयन प्रक्रिया में आयु में छूट का लाभ उठा चुका है तो वो उसके बाद सामान्य श्रेणी की सीट पर प्रवेश नहीं कर सकता।

जस्टिस एस. अब्दुल नजीर और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की पीठ ने कहा कि अनुच्छेद 16 (4) किसी राज्य को नियुक्तियों में उन पिछड़े वर्गों को आरक्षण देने में सक्षम बनाता है जिनका सार्वजनिक रोजगार में अपर्याप्त प्रतिनिधित्व होता है और इसलिए आरक्षित श्रेणियों से संबंधित उम्र में छूट दी गई है तो सामान्य उम्मीदवार के रूप में विचार का दावा नहीं किया जा सकता।

पीठ ने जनवरी, 2000 और जुलाई, 2004 के गुजरात सरकार के परिपत्रों की सराहना की जिसमें SC/ST और OBC के लिए कोटा के निर्माण के लिए एक नीति निर्धारित की गई है।

पीठ ने कहा, "हमारा विचार है कि एससी/एसटी और एसईबीसी श्रेणी के उम्मीदवारों को तत्काल मामले में दी गई आयु छूट भारत के संविधान के अनुच्छेद 16 (4) के तहत आरक्षण की घटना है।" शीर्ष अदालत ने आगे कहा कि मार्च, 2010 में GPSC द्वारा जारी किए गए विज्ञापन में सहायक वन संरक्षक (ACF) और रेंज फॉरेस्ट ऑफिसर (RFO) के 167 पदों के लिए, ऊपरी आयु सीमा में छूट केवल SC/ST और SEBC उम्मीदवारों को दी गई थी। पीठ ने कहा, "विज्ञापन में यह भी कहा गया था कि यदि किसी आरक्षित वर्ग का कोई भी उम्मीदवार जो कि सामान्य श्रेणी में आवेदन करता है तो ऐसे उम्मीदवार को आयु में छूट का लाभ नहीं मिलेगा।"

पीठ ने कहा, "राज्य सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि जब अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, एसईबीसी श्रेणी के लिए उम्मीदवार का चयन करने के लिए आयु सीमा, अनुभव, योग्यता, लिखित परीक्षा में अवसरों की संख्या की अनुमति आदि के लिए एक आरामदायक मानक लागू किया गया है तो ऐसी श्रेणी के उम्मीदवार का चयन किया जाता है। उक्त तरीके से, केवल उसके आरक्षित पद के विरूद्ध विचार किया जाना चाहिए। ऐसे उम्मीदवार को अनारक्षित पद के विरुद्ध विचार करने के लिए अनुपलब्ध माना जाएगा।"


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