बॉम्बे हाईकोर्ट ने 23 सालों से जेल में बंद हत्या के आरोपी को अवधि से पहले छोड़े जाने पर राज्य सरकार को ग़ौर करने को कहा [निर्णय पढ़े]

Update: 2019-02-10 08:37 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट ने गत माह हत्या के एक अभियुक्त को राहत दी और कहा जेल में 24 साल बिताने के बाद उसे जेल से समय से पहले रिहा करने पर ग़ौर किया जाएगा।

विट्ठल पुंडलिक जेंदगे ने हाईकोर्ट में आपराधिक रिट याचिका दायर कर समय से पहले जेल से रिहा किए जाने की माँग की थी। उसकी याचिका पर न्यायमूर्ति एएस ओक और एएस गड़करी ने ग़ौर किया।

अदालत ने 15 मार्च 2010 को पारित सरकार के एक प्रस्ताव का हवाला दिया जिसमें क़ैदियों को मियाद पूरी होने से पहले रिहा किए जाने के बारे में दिशानिर्देश दिए गए हैं। ऐसा सीआरपीसी, 1973 की धारा 432 के तहत किया गया है।

श्रेणी

अपराध की श्रेणी

क़ैद की अवधि छूट सहित सुनाईगई क़ैद की कुल सज़ा कान्यूनतम14 वर्ष होना चाहिएजिसमें जेल में बिताए शुरुआतीसमय भी शामिल है।

(a)

कारण:

जहाँ हत्या बिना किसी पूर्व योजना के व्यक्तिगतरूप में की गई है और उस व्यक्ति का पहले सेकोई आपराधिक इतिहास नहीं रहा हो।

20

(b)

हत्या पूर्व नियोजित हो या उस व्यक्ति काआपराधिक इतिहास रहा हो।

22

(c)

मज़दूर संघ की गतिविधि या व्यवसाय में दुश्मनीकी वजह से हत्या हुई हो।

22

(d)

हत्या एक से अधिक व्यक्ति ने/लोगों के एकसमूह ने की हो।

24

(e)

हत्या बहुत ही हिंसक/नृशंस/अगवा कर कियागया हो। हत्या लूट या डकैती के क्रम में डकैतोंया लुटेरों ने की हो।अवैध शराब बनाने वालों, जुआरियों, मानव तस्करों आदि ने की हो।

26

सजायाफ़्ता याचिकाकर्ता के अनुसार, उसका मामला परिशिष्ट 1 के क्लाउज 4 के सबक्लाउज (b) के तहत आता है। इसलिए 22 साल की जेल की अवधि पूरा किए जाने के बाद उसे समय से पूर्व रिहा किए जाने पर ग़ौर किया जा सकता है। सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार, उसको समय से पहले रिहा करने के मुद्देपर 26 साल क़ैद में बिताने के बाद ही ग़ौर किया जा सकता है।

कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता का मामला श्रेणी (e) के तहत नहीं आता और यह बहुत ही हिंसक और नृशंस हत्या का मामला भी नहीं है।

"…यह नहीं कहा जा सकता कि याचिककर्ता ने बहुत ही जघन्यपूर्वक निर्दयता से हत्या को अंजाम दिया। हत्या में याचिकाकर्ता की भूमिका के बारे में अभियोजन ने जो कहा है उसके हिसाब से वह कलाउज 4 के सबक्लाउज(d) में आता है…इस मामले में हत्या को एक से अधिक लोगों ने अंजाम दिया," कोर्ट ने कहा।

इस तरह पीठ ने याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया और राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि अभियुक्त के जेल में 24 साल पूरा होने पर वह उसको बारी से पहले रिहा करने पर ग़ौर करे।


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