कोई गिफ्ट डीड सिर्फ इसलिए अमान्य नहीं क्योंकि ये दाता की मृत्यु के बाद पंजीकृत की गई : कलकत्ता हाई कोर्ट [आर्डर पढ़े]

"दाता की मृत्यु के बाद कानूनी प्रतिनिधि द्वारा गिफ्ट डीड के पंजीकरण का प्रभाव उसी तरह का होता है जैसा कि दाता द्वारा अपने जीवनकाल के दौरान किए गए पंजीकरण का। ”

Update: 2019-06-18 13:33 GMT

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने यह माना है कि किसी गिफ्ट डीड को सिर्फ इसलिए अमान्य नहीं कहा जा सकता क्योंकि ये दाता की मृत्यु के बाद पंजीकृत की गई है। पेश मामले में एक गिफ्ट डीड की प्रामाणिकता पर इस आधार पर सवाल उठाया गया था कि इसे दाता की मृत्यु के बाद पंजीकृत किया गया था।

न्यायमूर्ति बिबेक चौधरी ने कहा कि किसी गिफ्ट डीड की वैधता के लिए यह आवश्यक नहीं है कि इसे स्वयं दाता द्वारा पंजीकृत किया जाना चाहिए। अदालत ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के एक पुराने आदेश का हवाला दिया जिसमें यह माना गया था कि दाता की मृत्यु के बाद गिफ्ट डीड का पंजीकरण संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम की धारा 123 के प्रावधानों का उल्लंघन नहीं करता हौ।

इस पर पीठ ने कहा:

"दाता की मृत्यु के बाद कानूनी प्रतिनिधि द्वारा गिफ्ट डीड के पंजीकरण का प्रभाव उसी तरह का होता है जैसा कि दाता द्वारा अपने जीवनकाल के दौरान किए गए पंजीकरण का।"


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