सिर्फ पत्नी का उग्र व्यवहार तलाक का उचित आधार नहीं : पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट [आर्डर पढ़े]
" शारीरिक या मानसिक रूप से क्रूरता के इस प्रकार के निराधार आरोपों पर शादी के बंधन को तोड़ने की अनुमति नहीं दी जा सकती।”
पत्नी के आक्रामक व्यवहार और उदासी की मनोदशा का मतलब यह नहीं है कि पत्नी अपने वैवाहिक घर (matrimonial home) के माहौल को खराब कर रही है, एक पति द्वारा दायर वैवाहिक अपील को खारिज करते हुए पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी की है।
दरअसल न्यायमूर्ति राकेश कुमार जैन और न्यायमूर्ति हरनेश सिंह गिल की पीठ एक व्यक्ति द्वारा फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर विचार कर रही थी जिसने उसकी याचिका खारिज कर दी थी।
फैमिली कोर्ट के समक्ष अपनी याचिका में पति ने यह आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी हमेशा खुद को स्वतंत्र और आधुनिक विचारों के साथ व्यापक सोच वाली महिला के रूप में पेश करती है।
उसने घरेलू काम करने से इनकार कर दिया और वो हमेशा अजनबियों और दोस्तों के साथ व्हाट्सएप और फेसबुक पर व्यस्त रहती है। उसने यह भी आरोप लगाया है कि उसकी पत्नी के अवैध संबंध थे। पत्नी ने इन सभी आरोपों से इनकार किया।
याचिका पर ध्यान देते हुए पीठ ने कहा:
"हमारे मुताबिक वर्तमान मामले में पक्षकारों के शादीशुदा जीवन में साधारण समस्याएं हैं जो दिन-प्रतिदिन के जीवन में होती है। सिर्फ पत्नी का आक्रामक व्यवहार और उदासी की मनोदशा का मतलब यह नहीं है कि पत्नी अपने वैवाहिक घर का माहौल खराब कर रही है।"
फैमिली कोर्ट के आदेश की पुष्टि करते हुए पीठ ने यह कहा कि पति, पत्नी के खिलाफ पुख्ता सबूत पेश करने में विफल रहा है। पीठ ने यह कहा कि शारीरिक या मानसिक रूप से क्रूरता के इस प्रकार के निराधार आरोपों पर शादी के बंधन को तोड़ने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।