बार के लिए आरक्षित पदों पर अब सेवारत उम्मीदवारों की जिला न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति नहीं होगी : सुप्रीम कोर्ट [आर्डर पढ़े]
सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया है कि अब से बार के लिए आरक्षित कोटा के तहत सेवारत उम्मीदवारों की जिला जजों के पद पर कोई भी नई नियुक्ति नहीं की जाएगी।
यह भी बताया गया है कि पिछले 65-66 वर्षों से सिविल जज काडर के किसी भी व्यक्ति को बार से सीधी भर्ती के लिए आरक्षित कोटे में दावा करने की अनुमति नहीं दी गई।
"जब सीधी भर्ती बार से होती है तो हम अंतिम स्थिति वाले अंतरिम आदेश को जारी नहीं रख सकते, जिससे स्थिति लगभग अपरिवर्तनीय हो जाती है और बार के सदस्य को सेवारत उम्मीदवार को दिए गए पद की वजह से उस पद से वंचित होना पड़ता है जो बार के लिए आरक्षित है। इसमें वरिष्ठता का सवाल भी उठेगा और अगर इस मामले में राहत दी जाती है तो कई अन्य जटिलताएं पैदा हो सकती हैं।
किसी भी मामले में इस तरह की एड-हॉक व्यवस्था को लागू करने की जरूरत नहीं है जब तक कि उच्चतर न्यायपालिका में भी ये मामला ना हो और सेवारत उम्मीदवारों के पक्ष में निर्णय न लिया गया हो।"
अदालत ने दिया पूर्व निर्देशों पर ध्यान
अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के पहले के आदेशों पर ध्यान दिया जिसने दिल्ली और इलाहाबाद के उच्च न्यायालयों को निर्देश दिया था कि वे कुछ अधीनस्थ उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया को आगे बढ़ाएँ और उन्हें अधीनस्थ न्यायिक सेवा से इस्तीफा दिए बिना जिला न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करें।
इस संबंध में पीठ ने कहा:
"परिस्थितियों में, एक साथ वर्षों के लिए इस तरह के अंतरिम आदेश नहीं दिए जा सकते और न ही अंतरिम आदेशों को एक मिसाल के रूप में माना जा सकता है। जैसा कि वे अधिक जटिलताएं पैदा कर रहे हैं इसलिए सेवारत उम्मीदवारों के हकदार होने के सवाल को बड़ी पीठ को संदर्भित किया गया है जो अब इस पर फैसला करेगी।
यह उचित माना जाता है कि बार के लिए आरक्षित कोटा सेवारत उम्मीदवारों के लिए नहीं है। हालांकि बार से भर्ती उस मामले के अंतिम परिणाम के अधीन होगी जिसे संदर्भित किया गया है। हम इस विचार के पक्ष में हैं कि हम सिविल जजों की और नियुक्ति के लिए अंतरिम आदेशों के माध्यम से निर्देश नहीं दे सकते, क्योंकि प्रैक्टिस कर रहे वकीलों के लिए पदों की परीक्षा में सेवारत या न्यायपालिका सदस्यों को भाग लेने की अनुमति दी गई तो यह स्थिति को बदतर बनाएगी।"
अदालत ने आगे जारी रखते हुए कहा, "अगर अंतत: सेवारत उम्मीदवारों को ऐसे कोटे के लिए योग्य नहीं पाया जाता है तो ये मामला गंभीर जटिलता में बदल जाएगा। इसलिए सेवारत उम्मीदवारों को आरक्षित कोटा के तहत परीक्षा में दावा करने या नियुक्ति को लेकर हम किसी भी अंतरिम आदेश को पारित करने के लिए इच्छुक नहीं हैं। एक साथ वर्षों के लिए सभी भर्तियों को रोकना उचित नहीं होगा क्योंकि जटिलताओं के साथ-साथ वरिष्ठता के तहत भी कोटा बनाए रखा जाना चाहिए।"
मुख्य न्यायाधीश जल्द कर सकते हैं मामले को सूचीबद्ध
पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि यह उन नियुक्तियों को परेशान नहीं कर रही है जो कि इस तरह के अंतरिम आदेशों के आधार पर अभी तक की गई हैं। भले ही बार के कोटे के तहत परीक्षा में सेवारत उम्मीदवार का चयन किया गया हो, फिर भी ऐसे उम्मीदवारों की नियुक्ति नहीं की जाएगी। पीठ ने कहा कि मामले की तात्कालिकता को देखते हुए पीठ ने मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध किया है कि वे इस मामले को उचित पीठ के समक्ष अंतिम सुनवाई के लिए जल्द से जल्द सूचीबद्ध करें।