"निर्णीत मामले" का सिद्धांत रिट याचिका पर भी लागू होता है, सुप्रीम कोर्ट ने कहा [निर्णय पढ़े]

Update: 2019-03-31 05:50 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने फिर कहा है कि "निर्णीत मामले" का सिद्धांत रिट याचिका पर भी लागू होता है।

पी बंदोपाध्याय बनाम भारत संघ मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट के फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।

भारत सरकार की कंपनी ओवरसीज़ कम्यूनिकेशन सर्विसेज़ (ओसीएस) के एक पूर्व कर्मचारी ने यह रिट याचिका दायर की थी जिस पर कोर्ट ने फ़ैसला दिया। हाईकोर्ट ने उसकी याचिका यह कहते हुए ख़ारिज कर दी कि उन्हें भारत सरकार की सेवा के तहत पेंशन पाने का हक़ नहीं है क्योंकि वीएसएनएल में उनको समाहित किए जाने के बाद से उनकी सेवा की अवधि 10 साल से कम रही है। कोर्ट ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट ने इस मामले का एसवी वसैकर और अन्य बनाम भारत संघ के फ़ैसले में निराकरण कर चुका है।

न्यायमूर्ति यूयू ललित और न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा की पीठ ने हाईकोर्ट के फ़ैसले से इत्तफ़ाक़ जताया और कहा कि एसवी वसैकर मामले में आए फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती नहीं दी गई और इस तरह इस मामले को निपटाया जा चुका है। कोर्ट ने यह भी कहा कि Direct Recruit Class II Engineering Officers' Association v. State of Maharashtra & Ors. मामले में संविधान पीठ का फ़ैसला इस तरह था -

"…अनुच्छेद 226 के तहत हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के बाद जो फ़ैसला दिया है वह तब तक सभी पक्षों पर लागू होता है जब तक कि इसे किसी अपील पर संविधान के प्रावधानों के तहत निरस्त नहीं कर दिया जाता है और इसे अनुच्छेद 32 के तहत अपील द्वारा नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता है।"

कोर्ट ने याचिका ख़ारिज करते हुए कहा : "यह सही है कि संविधान पीठ का निर्णय अनुच्छेद 32 के तहत दायर रिट याचिका पर सुनाया गया था, लेकिन अनुच्छेद 226 के तहत रिट याचिका दायर किए जाने का यह पूरी ताक़त के विरोध करता है और वर्तमान आवेदन भी इसी तरह का है और इसलिए इस पर "निर्णीत मामले" का सिद्धांत लागू होता है।"


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