घटना के समय नाबालिग़ पाए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार के आरोपी को रिहा किया [निर्णय पढ़े]

Update: 2019-02-26 14:43 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने ने शुक्रवार को बलात्कार के आरोपी एक व्यक्ति को रिहा कर दिया क्योंकि जाँच के बाद उसे घटना के समय नाबालिग़ पाया गया।

न्यायमूर्ति एमवी रमना,न्यायमूर्ति एमएम शांतनागौदर और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की पीठ ने इस आरोपी को रिहा किए जाने का आदेश दिया क्योंकि यह व्यक्ति 6 साल की कैद की सज़ा पहले ही काट चुका है। किसी नाबालिग़ को इस अपराध के लिए अधिकतम 3 साल की सज़ा हो सकती है।

राजू और दो अन्य लोगों को 15 साल की एक लड़की से बलात्कार के आरोप का दोषी मानते हुए हाईकोर्ट ने यह मानने से इंकार कर दिया था कि इस अपराध के समय वह 18 साल से कम उम्र का था।

सुप्रीम कोर्ट में अपनी अपील में उसने स्कूल के कुछ प्रमाणपत्रों को पेश किया और यह दावा किया कि वह नाबालिग़ है। रजिस्ट्रार (न्यायिक) द्वारा की गई जाँच में उसे घटना के समय 16 साल 2 माह का पाया गया और इस तरह वह बलात्कार की घटना के समय नाबालिग़ था। इस जाँच की पुष्टि करते हुए पीठ ने कहा,

"इस कोर्ट के निर्देश पर रजिस्ट्रार (न्यायिक) ने जो जाँच की है उस पर संदेह करने का कोई कारण हमारे पास नहीं है…और नियम 2007 के नियम 12(3) के तहत यह अपीलकर्ता की उम्र का निर्णायक सबूत है। चूँक अपीलकर्ता अधिनियम 2000 की धारा 2k और 2l की शर्तों को पूरा करता है इसलिए यह अधिनियम उस पर पूरी तरह लागू होता है…"

पीठ ने राज्य की इस आपत्ति का भी निदान किया कि अपीलकर्ता के नाबालिग़ होने का जो निर्णय रजिस्ट्री ने सुनाया है उसे हाईकोर्ट के निर्णय पर तरजीह नहीं दिया जाना चाहिए। इस बारे में पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट ने तो इस मुद्दे को इस लायक़ भी नहीं समझा कि जो साक्ष्य पेश किए गए हैं उन्हें अधिनयम 2000 और नियम 2007 के तहत इस मामले की जाँच कराई जाए। इसके उलट, उसने यह निर्णय दिया कि जो साक्ष्य पेश किए गए हैं वे यह नहीं साबित करते कि अपराध होने के समय वह नाबालिग़ था और उसकी सज़ा को सही ठहराया।


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