किसी कीट द्वारा प्राकृतिक तौर पर काटने से हुई बीमारी नहीं आती है 'एक्सीडेंट' इंश्योरेंस के तहत-सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]

Update: 2019-03-31 16:19 GMT

-मलेरिया से हुई मौत नहीं है कोई एक्सीडेंट-कोर्ट

-बीमाकृत को जो पैसा दे दिया गया है,वह वापिस न ले बीमा कंपनी

इंश्योरेंस पाॅलिसी के तहत एक्सीडेंट से हुई मौत शामिल है। इसमें वह घटना शामिल है,जिसका अंदाजा मानवीय जीवन में नहीं है कि वह कब और कैसे हो सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जब एक बीमारी किसी कीट के काटने या वायरस के कारण आई है तो यह एक्सीडेंट की परिभाषा में शामिल नहीं है।

परंतु इस मामले के तथ्यों के आधार पर कष्टदायी स्थिति को एक्सीडेंट माना जा सकता है,अगर ऐसा अनपेक्षित व आकस्मिक स्थिति में हुआ हो। जस्टिस डी.वाई चंद्राचूड़ व जस्टिस हेमंत गुप्ता की खंडपीठ ने यह टिप्पणी उस समय की है,जब वह 'इंटरेस्टिंग क्वेश्चयन आॅफ लाॅ' किसे कहते के मामले पर सुनवाई कर रही थी।

खंडपीठ ने इस मामले में उस सवाल का जवाब दिया,जिसमें पूछा गया था कि क्या मोजांबिक में मच्छर से काटने से हुए मलेरिया के कारण हुई मौत एक्सीडेंट से हुई मौत में शामिल है या नहीं। बेंच इस मामले में नेशनल कंज्यूमर कमीशन के एक आदेश के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी। कमीशन ने बीमा कंपनी की उस दलील को खारिज कर दिया था कि मच्छर से काटने से हुआ मलेरिया एक बीमारी है,न की कोई दुर्घटना।

कई विदेशी कोर्ट द्वारा दिए गए फैसलों सहित अन्य फैसलों का हवाला देते हुए बेंच ने कहा कि-

''जब इंश्योरेंस का लाॅ बनाया गया तो एक एक्सीडेंट व बीमारी के बीच एक सूक्ष्मभेद युक्त समझ बनाई गई ताकि इन दोनों में अंतर किया जा सके। साथ ही मानवीय घटनाओं के तहत यह देखा जा सके कि क्या एक्सीडेंट की पाॅलिसी के तहत बीमारी भी शामिल है। इस थ्योरी के एक विस्तार में कहा गया है कि एक्सीडेंट एक ऐसी घटना है,जो अचिश्चित और अनपेक्षित है। इस समझ से यह पता चलता है कि प्राकृतिक क्रम के तहत अगर कुछ होता है तो वह एक्सीडेंट नहीं है। यही आधार है,जिसके तहत यह कहा जा सकता है कि बीमारी किसी एक्सीडेंट के क्लासीफिकेशन के तहत नहीं आती है। वायरल फीवर या फलू से पीड़ित कोइग् व्यक्ति यह नहीं कह सकता है कि यह एक एक्सीडेंट है। यह सच है कि कोई बीमारी लगने में चांस या संभावना का तत्व शामिल है। जब एक इलाके में कोई वायरल बीमारी फैली है तो जरूरी नहीं है कि सभी को वह बीमारी लगे। किसी-किसी को यह बीमारी लगना चांस की बात ही होती है। परंतु जिसको यह वायरल बीमारी लगी है,वो यह नहीं कह सकता है कि यह एक एक्सीडेंट है। यह फलू उसे प्राकृतिक तौर पर एक-दूसरे से लगा है। एक मच्छर द्वारा काटना और उससे मलेरिया हो जाना,में एक चांस का तत्व है। परंतु जो बीमारी किसी कीट के काटने के कारण हुई है,उसे एक्सीडेंट नहीं कहा जा सकता है। खासतौर पर उस इलाके में ऐसी बीमारी होना,जिस इलाके में मलेरिया ज्यादा फैलता है।''

वहीं कोर्ट ने कहा कि मोटर कार एक्सीडेंट,जिसमें कोई बुरी तरह घायल हो जाता है और उसके कारण कोई व्यक्ति मर जाए या अपाहिज हो जाए, तो ऐसी घटना एक्सीडेंट पाॅलिसी के तहत आ सकती है।

''ऐसे में यह कहा जा सकता है कि प्राकृतिक घटनाओं के तहत अगर कोई बीमारी होती है या लगती है तो वह एक्सीडेंट की परिभाषा के तहत नहीं आती है। परंतु किसी मामले में यह शारीरिक स्थिति एक एक्सीडेंट मानी जा सकती है बशर्ते इसका कारण अनपेक्षित व अनिश्चित हो।''

आयोग के आदेश को रद्द करते हुए बेंच ने कहा कि-

इंश्योरेंस पाॅलिसी के तहत एक्सीडेंट से होने वाली मौत शामिल है। एक्सीडेंट वह घटना है जो अनपेक्षित व अनिश्चित है। परंतु इस मामले में बीमाकृत व्यक्ति की मौत मलेरिया के कारण हुई है। इस मामले में दलील दी गई कि मच्छर द्वारा काटना अनपेक्षित घटना था। जिसे एक्सीडेंट माना जाना चाहिए। परंतु हम इस दलील से सहमत नहीं है। बीमाकृत व्यक्ति मोजांबिक में रहता था। वल्र्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन की वल्र्ड मलेरिया रिपोर्ट 2018 के अनुसार मोजांबिक की जनसंख्या 29.6 मिलियन है। यहा पर पूरे विश्व के पांच प्रतिशत मलेरिया के केस पाए जाते है। यह भी पाया गया है कि मोजांबिक में हर तीन में से एक व्यक्ति को मलेरिया होता है। ऐसे में मच्छर के काटने से फैलने वाली बीमारी मलेरिया को एक्सीडेंट नहीं माना जा सकता है। यह न तो अनिश्चित है और न ही अनपेक्षित। इसलिए यह एक्सीडेंट इंश्योरेंस पाॅलिसी के तहत संकट या जोखिम वाला बीमा नहीं है।

हालांकि कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 का उपयोग करते हुए कहा कि बीमाकृत को जो पैसा दे दिया गया है,उसे बीमा कंपनी वापिस न ले।


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