'आप एक आईएएस अधिकारी हैं, अगर आप अदालत के आदेश का पालन नहीं करते हैं तो इसके परिणाम का सामना करें': सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा के सीईओ के खिलाफ वारंट पर रोक लगाने से इनकार किया
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (9 मई) को अवमानना मामले में पेश होने में विफल रहने के बाद न्यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा) की मुख्य कार्यकारी अधिकारी रितु माहेश्वरी के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा जारी गैर-जमानती वारंट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल बलबीर सिंह ने तत्काल राहत के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष मामले का उल्लेख किया।
एएसजी ने कहा,
"महिला आईएएस अधिकारी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया है।"
जब वकील ने कहा कि उन्हें अदालत पहुंचने में देर हो गई थी तो सीजेआई ने कहा:
"आप एक आईएएस अधिकारी हैं, आप नियम जानते हैं। हर दिन हम देखते हैं कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेशों का उल्लंघन होता है। यह नियमित है, हर रोज एक या अधिकारी को आना होगा और अनुमति लेनी होगी। यह क्या है? आप अदालत के आदेशों का सम्मान नहीं करते। यदि आप हाईकोर्ट के आदेशों का पालन नहीं करते हैं, तो आपको इसके परिणामों का सामना करना पड़ेगा।"
सीजेआई ने कहा,
"उन्हें पेश होने दीजिए। उन्हें समझने दीजिए।"
जब वकील ने कहा कि उनके दो बच्चे हैं तो सीजेआई ने कहा, "आप हाईकोर्ट से अनुरोध कीजिए।"
हाईकोर्ट ने पुलिस को नोएडा सीईओ को गिरफ्तार करने और 13 मई को अदालत में पेश करने का आदेश दिया था।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को नोएडा सीईओ और आईएएस अधिकारी रितु माहेश्वरी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया। रितु माहेश्वरी भूमि अधिग्रहण से संबंधित अवमानना मामले में अदालत में पेश नहीं होने के बाद अदालत ने यह वारंट जारी किया था।
जस्टिस सरल श्रीवास्तव की खंडपीठ ने पुलिस को उन्हें गिरफ्तार करने और 13 मई को अगली सुनवाई के लिए अदालत में पेश करने का निर्देश दिया।
क्या है मामला :
यह आदेश मनोरमा कुच्छल और एक अन्य व्यक्ति द्वारा दायर अवमानना याचिका में पारित किया गया है। याचिकर्ता का दावा है कि उनकी भूमि को वर्ष 1990 में नोएडा द्वारा कानून में अपेक्षित किसी भी प्रक्रिया का पालन किए बिना अधिग्रहित किया गया था। अधिग्रहण को चुनौती देते हुए उन्होंने एक रिट याचिका दायर करके हाईकोर्ट का रुख किया था।
इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा 2016 में उनकी रिट याचिका को अनुमति दी गई थी और इसने भूमि अधिग्रहण अधिसूचना को रद्द कर दिया था।
याचिकाकर्ताओं की रिट याचिका को स्वीकार करते हुए न्यायालय ने संपत्ति पर अवैध रूप से निर्माण करके संपत्ति का कब्जा लेने और संपत्ति की प्रकृति को बदलने में नोएडा के आचरण की निंदा की थी।
इसके अलावा हाईकोर्ट ने नोएडा को भूमि भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन अधिनियम, 2013 में उचित मुआवजे और पारदर्शिता के अधिकार के प्रावधानों के अनुसार दोगुने बाजार मूल्य पर विवादित भूमि के मुआवजे का निर्धारण करने और तीन महीने के भीतर याचिकाकर्ताओं को भुगतान करने का निर्देश दिया था।
हालांकि, अधिकारियों द्वारा इस आदेश का पालन नहीं किया गया और इसलिए, याचिकाकर्ताओं ने वर्तमान अवमानना याचिका दायर की और आईएएस अधिकारी रितु माहेश्वरी को नोएडा के सीईओ होने के नाते अवमानना मामले में पार्टी बनाया गया।
2 अप्रैल, 2022 को, IAS अधिकारी रितु माहेश्वरी को अदालत ने 5 मई, 2022 को अदालत के समक्ष उपस्थित रहने के लिए कहा गया था, हालांकि कि जब न्यायालय ने 5 मई को मामले को उठाया तो न्यायालय को सूचित किया गया कि वह सुबह 10:30 बजे प्रयागराज के लिए फ्लाइट लेने वाली हैं।
इसे देखते हुए न्यायालय ने उनके आचरण की निंदा करते हुए इस प्रकार टिप्पणी की:
" उन्हें यहां सुबह 10:00 बजे होना चाहिए था, इसलिए कोर्ट का कामकाज शुरू होने के बाद कोर्ट सीईओ, नोएडा के फ्लाइट लेने के आचरण को स्वीकार नहीं कर सकता। वे यह सोचती हैं कि कोर्ट उनकी प्रतीक्षा करेगा और उसके बाद मामले को उठाएगा। सीईओ का यह आचरण निंदनीय है और न्यायालयों की अवमानना के समान है, क्योंकि उन्हें रिट कोर्ट द्वारा पारित एक आदेश का पालन न करने के लिए अवमानना कार्यवाही में बुलाया गया है।
रिट कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया गया है और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए जब कोर्ट ने सीईओ नोएडा को पेश होने के लिए आदेश पारित किया है तो अदालत का कामकाज के 10:00 बजे शुरू होने पर अदालत में उनके उपस्थित होने की उम्मीद थी। बल्कि उन्होंने दिल्ली से सुबह 10:30 बजे जानबूझ कर इस उम्मीद के साथ फ्लाइट लेने का फैसला किया कि अदालत इस मामले को उनकी सुविधा के अनुसार उठाएगी।"
उनके आचरण को जानबूझकर अदालत का किया गया अनादर मानते हुए अदालत ने उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया। इस मामले को 13 मई, 2022 को सूचीबद्ध करते हुए अदालत ने निर्देश दिया कि माहेश्वरी को अदालत के समक्ष पुलिस हिरासत में लाया जाए।