नगर पालिकाओं और नगर परिषदों के चुनाव कब अधिसूचित होंगे? सुप्रीम कोर्ट ने नागालैंड राज्य चुनाव आयोग से पूछा
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को नागालैंड राज्य चुनाव आयोग को अदालत को ये सूचित करने के लिए कहा कि वो नगर पालिकाओं और नगर परिषदों के चुनावों को कब अधिसूचित करेगा।
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एम एम सुंदरेश की पीठ ने आगे के विवरण के बारे में अदालत को अवगत कराने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है।
बेंच पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) और महिला अधिकार कार्यकर्ता रोज़मेरी ड्यूचु द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें भारत के संविधान के भाग IXA के संचालन को छूट देने वाले नागालैंड विधानसभा के 22 सितंबर, 2021 के प्रस्ताव को चुनौती दी गई थी, जिसमें राज्य की नगर पालिकाओं और नगर परिषदों में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण अनिवार्य है।
अप्रैल में हुई सुनवाई में, नागालैंड राज्य ने न्यायालय द्वारा पारित पूर्व के आदेशों के अनुरूप, स्थानीय स्व-सरकारी संस्थानों में महिलाओं को 33% आरक्षण लागू करने के अपने निर्णय के बारे में सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था।
तदनुसार, कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को चुनावों के कार्यक्रम की जानकारी देने का निर्देश दिया था।
आज सुनवाई के दौरान राज्य चुनाव आयोग ने एक हलफनामे के माध्यम से सूचित किया कि वे अदालत के पहले के 12 अप्रैल के आदेश के अनुसार चुनाव के कार्यक्रम को अधिसूचित करने में असमर्थ रहे हैं। चुनाव आयोग ने राज्य से अधिसूचना जारी करने का अनुरोध किया था।
राज्य सरकार की ओर से पेश एडवोकेट जनरल केएन बालगोपाल ने बताया कि सरकार ने इसे राज्य चुनाव आयोग को प्रशासनिक मंज़ूरी दे दी है। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि उक्त मंज़ूरी केवल 12 जून तक प्राप्त हुई थी। इन घटनाक्रमों को देखते हुए, कोर्ट ने मामले में उदासीन रवैये के लिए राज्य सरकार की खिंचाई की।
"महिलाओं के अधिकारों को बनाए रखने के प्रयास में राज्य की ओर से प्रत्येक चरण में देरी हुई है।"
अदालत के आदेश ने कहा,
"यह तब होता है जब मामला न्यायालय के समक्ष होता है, कुछ किया जाता है। राज्य की विफलता के कारण राज्य चुनाव आयोग द्वारा अधिसूचना अब देर से जारी की जाएगी।"
मामले को 29 जुलाई को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने से पहले, पीठ ने स्पष्ट किया कि आवेदनों को लंबित रखा जाएगा।
"हम आवेदनों का निपटारा नहीं कर रहे हैं। जिस तरह से राज्य सरकार काम कर रही है उस पर हमें कोई भरोसा नहीं है।"
जैसे ही सुनवाई समाप्त हुई, पीठ ने एजी बालगोपाल की ओर इशारा करते हुए कहा,
"आप 12 साल से महिलाओं के अधिकारों के साथ ऐसा व्यवहार कर रहे हैं। कुछ ऐसा जो स्वचालित रूप से किया जा सकता था उसके लिए बहुत प्रयास की आवश्यकता होती है। यहां एक याचिका की आवश्यकता है ... राज्य सरकार से अपील करें। उन्हें बताएं कि वे कुछ ऐसा कर रहे हैं जो सही नहीं है । "
इसके अलावा, इसे "चौंकाने वाली स्थिति" करार देते हुए न्यायालय ने कहा,
"... आप लैंगिक समानता की बात करते हैं लेकिन .... यह देश का वह हिस्सा है जहां देश में महिलाओं को शिक्षित किया जाता है, उन्हें रोजगार दिया जाता है और वे आर्थिक विकास में योगदान करती हैं। तो, यह वास्तव में शर्मनाक है ....। "
इस मौके पर एजी बालगोपाल ने बताया कि हाल ही में दो महिला एजी की नियुक्ति की गई है। "हवा बदल रही है, मिलोर्ड्स", उन्होंने कहा।
बेंच का त्वरित जवाब आया, "हवा बहुत धीमी गति से चल रही है। इसे तेज़ी से चलाने की जरूरत है।"
[मामला : पीपुल यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) बनाम नागालैंड राज्य | सिविल अपील संख्या 3607/2016]