सीबीआई की एफआईआर के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार का मुकदमा : सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 16 नवंबर तक स्थगित की
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को भारत के संविधान, 1950 के अनुच्छेद 131 के तहत पश्चिम बंगाल राज्य द्वारा दायर मुकदमे में सुनवाई को 16 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दिया।
अपने मुकदमे में पश्चिम बंगाल सराकर ने आरोप लगाया गया है कि सीबीआई चुनाव के बाद हिंसा के मामलों में कानून के तहत राज्य से प्रति-अपेक्षित मंजूरी लिए बिना जांच में आगे बढ़ रही है।
न्यायमूर्ति एलएन राव और न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार ने मुकदमे का जवाबी हलफनामा दायर किया है।
पीठ ने कहा कि वह इस मामले की सुनवाई गैर-विविध दिन करेगी।
पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने एक निश्चित तिथि पर पदस्थापन करने का अनुरोध किया।
सिब्बल ने कहा,
"कृपया हमें सुनवाई की एक निश्चित तारीख दें, क्योंकि सीबीआई एफआईआर पर आगे बढ़ रही है।"
पीठ ने कहा,
"हमारे पास यह 16 नवंबर को होगी। पक्षकार प्रत्युत्तर और अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल कर सकते हैं।"
पश्चिम बंगाल सरकार ने अपने मुकदमे में दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम 1946 के प्रावधानों का हवाला देते हुए सीबीआई द्वारा एफआईआर में जांच पर रोक लगाने की मांग की थी।
राज्य ने कहा था कि केंद्रीय एजेंसी कानून के तहत राज्य सरकार से अनुमति प्राप्त किए बिना चुनाव के बाद की हिंसा के मामलों में जांच और एफआईआर दर्ज कर रही है।
इससे पहले शीर्ष अदालत ने रजिस्ट्री को मुकदमे में केंद्र को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया था।
न्यायमूर्ति एलएन राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने निर्देश देते हुए कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के नियमों के अनुसार मुकदमा दायर करते समय रजिस्ट्री द्वारा तुरंत नोटिस जारी किया जाना था।
हाल के एक घटनाक्रम में यह कहते हुए कि पश्चिम बंगाल राज्य ने हत्या और बलात्कार से संबंधित चुनाव के बाद हिंसा के मामलों में सीबीआई जांच के लिए कलकत्ता हाईकोर्ट के निर्देश के खिलाफ अपनी चुनौती में एक प्रथम दृष्टया मामला बनाया। सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर को, 2021 ने अपनी याचिका में नोटिस जारी किया था।
केस शीर्षक: पश्चिम बंगाल राज्य बनाम भारत संघ| मूल सूट संख्या 4/2021