'हम यहां संवैधानिक कर्तव्य निभाने के लिए हैं, न कि किसी को खुश करने के लिए : सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने पीआईएल याचिकाकर्ता एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय से पुरुषों और महिलाओं के लिए शादी की एक समान उम्र की मांग वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा,
"हम यहां एक संवैधानिक कर्तव्य निभाने के लिए हैं और आपको या किसी को खुश करने के लिए नहीं हैं।"
उपाध्याय की एक टिप्पणी से सीजेआई नाराज हुए।
उपाध्याय ने कहा था,
"इसे सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने का क्या मतलब था?"। कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित याचिका को ट्रांसफर कर दिया था।
इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि उपाध्याय को "अनावश्यक टिप्पणी" करने की आवश्यकता नहीं है।
सीजेआई ने कहा,
"हम यहां आपकी राय सुनने के लिए नहीं हैं। सौभाग्य से हमारी वैधता इस बात पर निर्भर नहीं करती है कि आप हमारे बारे में क्या महसूस करते हैं। हम आपके बारे में जो महसूस करते हैं, उस पर आपकी अनावश्यक टिप्पणी नहीं चाहते। हम यहां अपना संवैधानिक कर्तव्य निभाने के लिए हैं।" यहां आपको खुश करने के लिए नहीं हैं। न ही हम यहां किसी राजनीति को खुश करने के लिए हैं। तो आप हमें अपनी अनावश्यक टिप्पणी न दें कि आप हमारे लिए कैसा महसूस करते हैं। आप बार के सदस्य हैं, हमारे सामने बहस करें। यह राजनीतिक फोरम नहीं है।"
सीजेआई ने सुनवाई के दौरान पाया कि यह अंततः संसद के निर्णय का एक मामला है। "मिस्टर उपाध्याय, अनुच्छेद 32 का मज़ाक मत बनाओ। कुछ मामले हैं जो संसद के लिए आरक्षित हैं। हमें संसद के लिए स्थगित करना चाहिए। हम यहां कानून नहीं बना सकते। हमें यह नहीं समझना चाहिए कि हम ही संविधान के संरक्षक हैं। संसद भी एक संरक्षक है।
केस टाइटल: अश्विनी कुमार उपाध्याय बनाम यूओआई और अन्य। टीसी (सी) नंबर 3/2023