'हमें उम्मीद और विश्वास है कि एनसीडीआरसी में नियुक्तियां शीघ्र होंगी: सुप्रीम कोर्ट ने एनसीडीआरसी सदस्य का कार्यकाल एक माह बढ़ाया
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटारा आयोग (एनसीडीआरसी) के एक सदस्य का कार्यकाल एक माह के लिए बढ़ाते हुए कहा, ''हमें उम्मीद और विश्वास है कि एनसीडीआरसी में नियुक्तियां यथाशीघ्र कर ली जायेंगी।"
एनसीडीआरसी के सदस्य प्रेम नारायण का कार्यकाल 30 अगस्त 2020 को पूरा होने वाला था और वह सेवानिवृत्त होने वाले थे। उन्होंने 'कुदरत संधू बनाम भारत सरकार' की रिट याचिका में अपनी एक अर्जी दायर की थी और नियमित नियुक्तियां होने तक अपना कार्यकाल बढ़ाने का अनुरोध किया था। संविधान पीठ ने वित्त अधिनियम 2017 की धारा 184 की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखते हुए इस रिट याचिका का निपटारा कर दिया था। संबंधित धारा केंद्र सरकार को विभिन्न न्यायाधिकरणों (ट्रिब्यूनल्स) के सदस्यों की नियुक्ति एवं सेवा शर्तों के संबंध में नियम बनाने का अधिकार प्रदान करती है।
कोर्ट ने धारा 184 के तहत केंद्र सरकार द्वारा पहले से बनाये गये नियमों को निरस्त कर दिया था और नये नियम बनाने का निर्देश केंद्र को दिया था। यह भी निर्देश दिया गया था कि धारा 184 के तहत केंद्र सरकार द्वारा नये नियम बनाये जाने तक न्यायाधिकरणों के सदस्यों की नियुक्तियां संबंधित मूल कानूनों के तहत की जायेंगी।
जब यह याचिका न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आयी तो अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने दलील दी कि चयन समिति द्वारा की गयी सिफारिश नियुक्ति संबंधी मंत्रिमंडलीय समिति (एसीसी) के समक्ष विचाराधीन है।
बेंच ने एनसीडीआरसी के सदस्य का कार्यकाल एक माह बढ़ाते हुए कहा, "एनसीडीआरसी के सदस्यों के चयन एवं नियुक्तियों को अंतिम रूप देने में विलंब अब असहनीय है। हम उम्मीद और विश्वास करते हैं कि एनसीडीआरसी में नियुक्तियां जल्द ही होंगी।"
खंडपीठ में न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति एस रवीन्द्र भट शामिल हैं।