बैंकों और माइक्रो फाइनेंस संस्थानों के रिकवरी एजेंटों द्वारा वसूली के लिए बल का इस्तेमाल करने के खिलाफ दायर याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज, संबंधित मंत्रालय के समक्ष प्रतिनिधित्व करने की स्वतंत्रता

Supreme Court of India
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सरकारी बैंकों और माइक्रो फाइनेंस संस्थानों के रिकवरी एजेंटों द्वारा वसूली करने के लिए बल (ताकत) का इस्तेमाल करने के खिलाफ दिशा-निर्देश की मांग करने वाली एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें याचिकाकर्ता को संबंधित मंत्रालय के समक्ष प्रतिनिधित्व करने की स्वतंत्रता दी गई।
याचिका में याचिकाकर्ताओं विक्रम शर्मा और अन्य की ओर से प्रस्तुत किया गया कि,
" यह याचिका सरकारी बैंकों और माइक्रो फाइनेंस संस्थानों के रिकवरी एजेंटों द्वारा वसूली करने के लिए बल के उपयोग के बारे में है। यह कानून के शासन के खिलाफ है। इस देश के नागरिक पीड़ित हैं।"
न्यायमूर्ति रोहिंटन नरीमन ने कहा,
"आरबीआई ने 2003 से इस समस्या के लिए सर्कुलर जारी किया है। आपने खुद अपनी याचिका में उसका उल्लेख किया है।"
इस पर वकील ने प्रस्तुत किया,
"सर्कुलर काम नहीं कर रहे हैं। हमें जिस चीज की आवश्यकता है वह कुछ कानून का अधिनियमन है, हमें दिशानिर्देशों की आवश्यकता है", ।
न्यायमूर्ति नरीमन ने कहा,
"आप कितने समय से वकालत कर रहे हैं? क्या हम विधायिका को कोई नोटिस जारी कर सकते हैं?"
वकील ने कहा,
"नहीं, मैं विधायिका पर नोटिस जारी करने के लिए आग्रह नहीं कर रहा। यह आरबीआई है जिसका एमएफआई पर नियंत्रण है। क्या इस याचिका को मंत्रालय का प्रतिनिधित्व माना जा सकता है?"
पीठ ने इसके बाद संबंधित मंत्रालय को इस संबंध में एक प्रतिनिधित्व करने की स्वतंत्रता के साथ याचिका खारिज कर दी।