उपहार अग्निकांड: संपत्ति लौटाने की थिएटर मालिकों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से जवाब मांगा
अंसल थिएटर के मालिकों द्वारा थिएटर और उसके परिसर की कस्टडी की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मौखिक रूप से 1997 में हुई उपहार अग्निकांड के संबंध में केंद्रीय जांच ब्यूरो से जवाब मांगा है।
थिएटर मालिकों द्वारा 2010 में यह कहते हुए याचिका दायर की गई थी कि पीड़ितों को देय मुआवजे का भुगतान करने के बाद भी, थिएटर और इसके परिसर को उन्हें वापस नहीं किया गया।
जस्टिस केएम जोसेफ, जस्टिस बीवी नागरथना और जस्टिस अरविंद कुमार की खंडपीठ के समक्ष, अपीलकर्ताओं के सीनियर वकील आर बंसंत ने तर्क दिया कि पिछले 26 वर्षों से थिएटर खाली पड़ा था।
उपहार त्रासदी के पीड़ितों के एसोसिएशन (एवीयूटी) के लिए उपस्थित सीनियर वकील ने कहा,
''सत्र न्यायाधीश की ओर से जिस आरोपी को तलब किया गया है, वह यहां आया है। मुझे कम से कम इन हलफनामों का जवाब दाखिल करने का संतोष तो देना चाहिए।"
लेकिन खंडपीठ ने बताया कि AVUT मामले की पार्टी नहीं है।
बेंच ने कहा,
"आप एक पार्टी नहीं हैं। दलील की प्रकृति थिएटर को वापस देना है। यह आपकी चिंता कैसे है? आप कैसे प्रतिकूल रूप से प्रभावित होने जा रहे हैं? वास्तव में, अगर आप उन्हें थिएटर वापस देते हैं, भुगतान का हिस्सा [मुआवजा], जो आपके अनुसार, उनसे देय है, जिसका भुगतान किया जा सकता है।"
AVUT के वकील ने कहा कि यह "न्याय" का मामला है।
वकील ने कहा,
"यह मामला पैसे का नहीं है, यह न्याय का है। जिस तरह से लोगों ने अपनी जान गंवाई है। इस मामले में अगर असली दोषी छूट जाते हैं और बाकी लोग सजा काट लेते हैं, तो यह सही नहीं होगा।"
जस्टिस नागरत्ना ने पूछा, "आरोपी व्यक्तियों की सजा का संपत्ति के मालिक को वापसी से क्या लेना-देना है?"
अदालत ने फिर मामले को 20 अप्रैल को आगे की सुनवाई के लिए पोस्ट किया। याचिका एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड संजय जैन के माध्यम से दायर की गई थी।
केस टाइटल: अंसल थिएटर एंड क्लबहोटल बनाम सीबीआई | सीआरएल ए 603/2010।