आदेश के बावजूद आरोपी को जेल से रिहा किया, सुप्रीम कोर्ट ने UP के जेल अधीक्षक के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्धनगर की जिला जेल के अधीक्षक के खिलाफ गैर-जमानती वारंट (NBW) पर कोई भी राहत देने से इनकार कर दिया है। दरअसल अधीक्षक पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद आरोपी को रिहा करने का आरोप लगाते हुए अवमानना याचिका दाखिल की गई है, जिस पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने NBW जारी करते हुए उसे 23 सितंबर को कोर्ट में पेश करने के निर्देश जारी किए थे।
पीठ ने वारंट रद्द करने से किया इनकार
गुरुवार को जेल अधीक्षक की ओर से जस्टिस एन. वी. रमना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष वारंट रद्द करने की गुहार लगाई और कहा कि अधीक्षक पेश हो जाएंगे। लेकिन पीठ ने इससे इनकार कर दिया।
क्या था यह मामला
दरअसल याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा है कि उसने एक आपराधिक मामले में आरोपी को जमानत देने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी। इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल जुलाई में उत्तर प्रदेश सरकार को यह निर्देश जारी किया था कि अगर वह अभी भी हिरासत में है तो अगले आदेश तक आरोपी को जेल से रिहा न किया जाए।
याचिकाकर्ता के मुताबिक बाद में 3 दिसंबर, 2018 को पीठ ने आरोपियों को जमानत देने के उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया। लेकिन पिछले साल दिसंबर में आदेश के बाद जेल अधीक्षक ने ट्रायल कोर्ट से आरोपी के लिए एक नए जेल हिरासत वारंट की मांग की। इसके बाद इस वारंट का इंतजार किए बगैर जेल अधीक्षक ने आरोपी को जेल से रिहा कर दिया।
याचिकाकर्ता ने अवमानना याचिका में यह कहा है कि जब संबंधित ट्रायल कोर्ट को पता चला था कि आरोपी को जेल प्रशासन ने रिहा कर दिया है, तो ट्रायल जज ने आरोपी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया लेकिन उसे अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है।
याचिकाकर्ता ने यह भी आरोप लगाया है कि आरोपी ने जेल से बाहर आने के बाद उसे मारने का प्रयास किया और पुलिस इस मामले में FIR दर्ज नहीं कर रही है। इस पर पीठ ने जेल के अधीक्षक के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था और जेल अधीक्षक को 23 सितंबर को कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए थे।