शिवसेना में उद्धव-शिंदे विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने पांच जजों की संविधान पीठ को याचिकाएं भेजीं; 25 अगस्त को सुनवाई होगी
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने महाराष्ट्र राज्य में राजनीतिक घटनाक्रम के संबंध में शिवसेना (Shiv Sena) के प्रतिद्वंद्वी गुटों द्वारा दायर याचिकाओं को संविधान पीठ के पास भेज दिया।
भारत के चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की तीन-जजों की पीठ ने याचिकाओं को 5-जजों की पीठ को भेजते हुए कहा कि संवैधानिक मुद्दे के महत्वपूर्ण प्रश्न उठते हैं।
उद्धव गुट की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने प्रार्थना की कि भारत के चुनाव आयोग को आधिकारिक शिवसेना पार्टी के रूप में एकनाथ शिंदे के दावे को तय करने से रोका जाए तब CJI ने संविधान पीठ के एक दिन बाद मामले को पोस्ट करने के लिए सहमति व्यक्त की।
उद्धव गुट के इस अनुरोध पर संविधान पीठ परसों फैसला करेगी। तब तक चुनाव आयोग से अंतिम फैसला नहीं लेने को कहा गया है।
पीठ मामले से संबंधित निम्नलिखित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी,
1. उपसभापति द्वारा जारी अयोग्यता नोटिस को चुनौती देने वाली शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे द्वारा दायर याचिका और भरत गोगावले और शिवसेना के 14 अन्य विधायकों द्वारा दायर याचिका में डिप्टी स्पीकर को अयोग्यता याचिका में कोई कार्रवाई करने से रोकने की मांग की गई है, डिप्टी स्पीकर तय करेगा।
27 जून को, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की खंडपीठ ने बागी विधायकों के लिए डिप्टी स्पीकर की अयोग्यता नोटिस पर लिखित जवाब दाखिल करने का समय 12 जुलाई तक बढ़ा दिया था।
2. शिवसेना के चीफ व्हिप सुनील प्रभु द्वारा दायर याचिका में महाराष्ट्र के राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री को महा विकास अघाड़ी सरकार का बहुमत साबित करने के निर्देश को चुनौती दी गई है।
3. उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले खेमे द्वारा नियुक्त किए गए व्हिप सुनील प्रभु द्वारा दायर याचिका, एकनाथ शिंदे समूह द्वारा शिवसेना के चीफ व्हिप के रूप में नामित व्हिप को मान्यता देने वाले नव निर्वाचित महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष की कार्रवाई को चुनौती देती है।
4. एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में आमंत्रित करने के महाराष्ट्र के राज्यपाल के फैसले की आलोचना करते हुए शिवसेना के महासचिव सुभाष देसाई द्वारा दायर याचिका और 03.07.2022 और 04.07.2022 को हुई राज्य की विधान सभा की आगे की कार्यवाही को अवैध बताते हुए चुनौती दी गई है।