सुप्रीम कोर्ट गुजरात के राजकोट में COVID-19 नामित एक अस्पताल में तड़के आग लगने के मामले में स्वतः संज्ञान लिया

Update: 2020-11-27 10:22 GMT

कोर्ट ने कहा कि COVID-19 अस्पतालों में आग की घटनाओं की पुनरावृत्ति हो रही है और अस्पतालों में ऐसी आग की घटनाओं को कम करने और रोकने के लिए अधिकारियों द्वारा कोई वैध उपाय नहीं किए जा रहे हैं। अदालत ने केंद्र को अगले सप्ताह मंगलवार तक अस्पतालों में आग से बचाव के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया और गुजरात राज्य को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया।

जिसमें जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने आदेश दिया,

"अदालत ने आज हुई घटना का संज्ञान लिया, जहां राजकोट में 6 लोगों की मौत कोविड नामित अस्पताल में आग लगने से हुई, ये पहली घटना नहीं है। ये घटनाएं दोहराई जाती हैं और हम नोटिस करते हैं कि राज्यों द्वारा कोई पूर्ण कदम नहीं उठाए जा रहे हैं और न ही स्थिति को काबू करने के लिए कोई भी तंत्र है। एसजी इस बात को स्वीकार करते हैं कि वह इस घटना से अवगत है और वह सुनिश्चित करेंगे कि कदम कल उठाए जाएं और वह अदालत को अगली तारीख पर उठाए गए कदमों के बारे में सूचित करेंगे। हम गुजरात के वकील को भी निर्देश देते हैं कि मंगलवार को रिपोर्ट पेश करें जब इस मामले को आगे सुना जाएगा।"

आज जब मामला सुनवाई के लिए आया, तो सुनवाई की शुरुआत में जस्टिस शाह ने सख्त टिप्पणी की और कोविड नामित अस्पतालों में आग को रोकने में असमर्थता के लिए केंद्र और राज्य की कड़ी आलोचना की।

उन्होंने टिप्पणी की,

"यह चौंकाने वाला है! और मैं यह कहता हूं कि यह कोई पहली घटना नहीं है। हम इस घटना का संज्ञान ले रहे हैं।"

सुप्रीम कोर्ट

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह आज एक बैठक सुनिश्चित करेंगे और तत्काल कदम उठाए जाएंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अग्नि सुरक्षा के मुद्दों को देखने के लिए व्यवस्था है।

न्यायमूर्ति भूषण ने कहा,

"आपको मुख्य अग्निशमन अधिकारी, एमएफ दस्तूर से परामर्श करना चाहिए।"

एसजी ने कहा,

"हम एक समिति बनाएंगे .."

न्यायमूर्ति भूषण ने कहा,

"हम एक समिति नहीं चाहते हैं, हम चाहते हैं कि उचित कदम उठाए जाएं ..."

पीठ ने कहा कि भले ही कोविड की लहर बेकाबू है और मार्च से खराब से खराब होती जा रही है, लेकिन केंद्र या राज्यों द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है।

कोर्ट ने कहा कि जुलूस निकाले जा रहे हैं और 80% लोग मास्क नहीं पहन रहे हैं। बाकी उनके चेहरे पर मास्क लटका हुआ है।

पीठ ने कहा,

"एसओपी हैं, दिशानिर्देश हैं लेकिन कोई इच्छाशक्ति नहीं है !,"

सॉलिसिटर जनरल ने अदालत को बताया कि राज्य सरकारों द्वारा अधिक कड़े उपायों को लागू करने की आवश्यकता है। "बेशक, यह" हम बनाम वो नहीं है।

उन्होंने कहा,

"उनके साथ हमें जोड़ना होगा, महाराष्ट्र, दिल्ली, आंध्र प्रदेश सहित कोविड के बढ़ते मामलों के 70 प्रतिशत मामलों को जोड़ने वाले 10 राज्य हैं "

स्वत: संज्ञान मामले, "इन रि : फॉर प्रॉपर ट्रीटमेंट ऑफ COVID -19 पेशेंट्स एंड डिग्नीफाइड हैंडलिंग ऑफ डेड बॉडीज इन द हॉस्पिटल, ETC" में निर्देश जारी किए गए थे।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि आने वाले महीनों में देश में महामारी की स्थिति और खराब होने की संभावना है और राज्यों के साथ-साथ केंद्र को कोविड-19 संकट से निपटने के लिए अच्छी तरह से सुसज्जित होना चाहिए।

जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने इस प्रकाश में दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात और असम राज्यों को निर्देश दिया कि वे संबंधित राज्यों में कोविड 19 मामलों के संबंध में संकट से निपटने के लिए जमीनी स्थिति साथ ही उठाए गए कदमों पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करें।

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था,

"सभी राज्यों को Covid19 की स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहना होगा जिसके और बदतर होने की संभावना है और सभी राज्यों द्वारा तत्काल आवश्यक कदम उठाने की आवश्यकता है। स्टेटस रिपोर्ट दो दिनों के भीतर दायर की जाएगी। शुक्रवार को सूचीबद्ध करें।"  

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