आपराधिक मामलों में सजा सुनाते समय लागू परीक्षण की सुप्रीम कोर्ट ने की व्याख्या

Update: 2019-10-23 06:58 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने किसी आपराधिक मामले में सजा सुनाते समय लागू किए जाने वाले तीन परीक्षणों की संक्षिप्त व्याख्या की है। अदालत ने कहा है कि एक आपराधिक मामले में आरोपी को सजा सुनाते समय अपराध परीक्षण, आपराधिक परीक्षण और तुलनात्मक अनुपात का परीक्षण लागू किया जाना चाहिए।

दरअसल न्यायमूर्ति एनवी रमना, न्यायमूर्ति मोहन एम शांतनगौदर और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ उच्च न्यायालय मध्य प्रदेश (ग्वालियर पीठ ) के उस फैसले पर विचार कर रही थी जिसमें भारतीय दंड संहिता की

धारा 326 के साथ धारा 34 और आईपीसी की धारा 452 के तहत अपराध के लिए ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई सजा को काटी गई सजा के तौर पर ही कम कर दी गई थी। अपील पर विचार करते हुए [राज्य सरकार बनाम उधम], शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा कि सजा के पहलू पर उच्च न्यायालय का फैसला सिर्फ एक वाक्य तक ही सीमित है।

अदालत ने कहा, 

"यह स्पष्ट है कि उच्च न्यायालय द्वारा सुनाए गए आदेश में मामले के तथ्यों का कोई विस्तृत विश्लेषण नहीं है जिसमें चोटों की प्रकृति, इस्तेमाल किए गए हथियार, पीड़ितों की संख्या, इत्यादि शामिल हैं।


हमारा विचार है कि इस न्यायालय के समक्ष बड़ी संख्या में मामले दायर किए जा रहे हैं, जो कि निचली अदालतों द्वारा दिए गए अपर्याप्त या गलत सजा के कारण हैं। हम कुछ मामलों में सजा सुनाने के इस तौर- तरीके पर बार- बार चेतावनी दे रहे हैं।


इस बात का कोई फायदा नहीं है कि सजा के पहलू पर ध्यान नहीं दिया जाना चाहिए क्योंकि आपराधिक न्याय प्रणाली के इस हिस्से का समाज पर निर्धारक प्रभाव पड़ता है। उसी के प्रकाश में, हमारा विचार है कि हमें उस पर आगे स्पष्टता प्रदान करने की आवश्यकता है।" 

पीठ ने दो परीक्षणों की संक्षिप्त व्याख्या की

अपराध परीक्षण

अपराध परीक्षण में अपराध की योजना, हथियार का विकल्प, अपराध का तरीका, अपराध घटित करना (यदि कोई हो), अभियुक्त की भूमिका, अपराध के असामाजिक या घृणित चरित्र, पीड़ित की स्थिति आदि शामिल हैं।

इसके अतिरिक्त हम नोट कर सकते हैं कि अपराध परीक्षण के तहत इसकी गंभीरता का पता लगाने की आवश्यकता है। अपराध की गंभीरता का पता (i) पीड़ित की शारीरिक अखंडता ; (ii) सहायक सामग्री या सामान का नुकसान; (iii) प्रताड़ना

की सीमा और (iv) निजता भंग द्वारा लगाया जा सकता है।

आपराधिक परीक्षण

आपराधिक परीक्षण में अपराधी की आयु, अपराधी का लिंग, अपराधी की आर्थिक स्थिति या सामाजिक पृष्ठभूमि, अपराध के लिए प्रेरणा, बचाव की उपलब्धता, मन की स्थिति, किसी मृतक द्वारा या मृतक के समूह के किसी भी व्यक्ति द्वारा उकसावे का मूल्यांकन, मुकदमे में पर्याप्त रूप से प्रतिनिधित्व, अपील प्रक्रिया में न्यायाधीश द्वारा असहमति, पश्चाताप, सुधार की संभावना, पूर्व आपराधिक रिकॉर्ड (लंबित मामले नहीं) और किसी भी अन्य संबंधित कारक (एक विस्तृत सूची नहीं) शामिल हैं।

तब पीठ ने मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए आरोपी को तीन महीने के सश्रम कारावास की सजा सुनाई। 

फैसले की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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