तमिलनाडु ADGP ने अपहरण मामले में उन्हें गिरफ्तार करने के हाईकोर्ट के निर्देश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
तमिलनाडु के एडिशनल पुलिस डायरेक्टर जनरल (ADGP) एचएम जयराम ने अपहरण मामले में उनकी कथित संलिप्तता की जांच के लिए उन्हें गिरफ्तार करने के मद्रास हाईकोर्ट के निर्देश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
सुप्रीम कोर्ट ने मामला बुधवार को सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई।
हाईकोर्ट ने केवी कुप्पम विधायक "पूवई" जगन मूर्ति द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका पर विचार करते हुए यह निर्देश पारित किया। यह मामला तिरुवल्लूर पुलिस स्टेशन द्वारा लक्ष्मी नामक व्यक्ति की शिकायत के आधार पर दर्ज किया गया था।
लक्ष्मी ने आरोप लगाया कि उसके बड़े बेटे ने लड़की के परिवार की सहमति के बिना एक लड़की से शादी कर ली थी। इसके बाद लड़की के परिवार ने कुछ बदमाशों के साथ उसके बड़े बेटे की तलाश में उनके घर में प्रवेश किया। चूंकि बड़ा बेटा और उसकी पत्नी छिप गए थे, इसलिए बदमाशों ने उसके 18 वर्षीय छोटे बेटे का अपहरण कर लिया।
लक्ष्मी ने यह भी आरोप लगाया कि उसके बेटे को बाद में घायल अवस्था में एक होटल के पास छोड़ दिया गया। आरोप है कि युवक को ADGP की सरकारी गाड़ी में छोड़ा गया। यह भी आरोप है कि विधायक ने भी पूरी घटना में साजिश रची थी।
हाईकोर्ट के जस्टिस पी वेलमुरुगन ने पुलिस को ADGP के खिलाफ कानून के मुताबिक कार्रवाई करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि एक सरकारी कर्मचारी होने के नाते जयराम जनता के प्रति जवाबदेह हैं। जज ने कहा कि जनता को यह सख्त संदेश जाना चाहिए कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है।
हाईकोर्ट के निर्देश के बाद सोमवार को जयराम को गिरफ्तार कर लिया गया।