सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना की योजना एजेंसी को आदेशों का पालन नहीं करने पर फटकार लगाई, अवमानना की चेतावनी दी
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आजम जाही मिल वर्कर्स एसोसिएशन के 318 श्रमिकों को पेंशन योजना के हिस्से के रूप में जमीन देने के कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने पर काकतीय शहरी विकास प्राधिकरण, वारंगल, तेलंगाना को जमकर फटकार लगाई।
कुटा वारंगल, तेलंगाना की शहरी नियोजन एजेंसी है।
2021 में, कोर्ट ने KUTA और तेलंगाना सरकार दोनों को निर्देश दिया था कि वे आजम जाही मिल्स के शेष 318 पूर्व कर्मचारियों पर अन्य 134 पूर्व कर्मचारियों के बराबर विचार करें, जिन्हें 2007 के सरकारी आदेश के अनुसार फ्री में 200 वर्ग मीटर का प्लॉट आवंटित किया गया था। इसे 6 माह में पूरा करने का आदेश दिया गया था।
पक्षकारों द्वारा 2021 के आदेश का अनुपालन न करने के पर कोर्ट के समक्ष अवमानना याचिका दायर की गई थी।
सुनवाई के दौरान जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की खंडपीठ ने कूटा के आचरण पर आपत्ति जताई।
पीठ ने कहा,
"सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करना होगा! आप हमारे आदेश का पालन करें, जहां से आपको जमीन मिलती है। अगर आपको जमीन नहीं भी मिल रही है, तो भी हमारे आदेश का पालन करें। हम इस तरह नहीं चल सकते।"
पहले के दो मौकों पर, कूटा ने अदालत के 2021 के फैसले का पालन करने के लिए और समय मांगा था।
बेंच ने कहा,
"हम इसे बहुत गंभीरता से ले रहे हैं। यह हमारे आदेशों का पालन नहीं करने का सवाल है।"
सीनियर एडवोकेट वी गिरी ने कहा,
"मैं समझता हूं कि आप क्या कह रहे हैं। मैं भी न्यायालय का एक अधिकारी हूं।"
खंडपीठ ने कहा,
"अगर हमारे आदेश लागू नहीं होते हैं, तो हम जानते हैं कि उन्हें कैसे लागू किया जाए। हमारे आदेशों को कभी कम मत समझो!"
न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार को न्यायालय के आदेशों का पालन नहीं करने पर परिणामों को जानना चाहिए।
कोर्ट ने गिरि से कहा,
"आप उन्हें बताएं कि कोर्ट ने संकेत दिया है कि मुख्य सचिव को तलब किया जाएगा।"
गिरि के अनुरोध के अनुसार, अदालत ने मामले को 20 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दिया।
केस टाइटल: आज़म जाही मिल वर्कर्स एसोसिएशन की 2002 की संशोधित स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना बनाम एस एच मनोज कुमार के जी और अन्य
केस नंबर: CONMT.PET.(C) नंबर 459-460/2022