सुप्रीम कोर्ट ने केएसआरटीसी की बसों में विज्ञापनों पर रोक लगाने के केरल हाईकोर्ट के आदेश पर स्टे लगाया
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केरल राज्य सड़क परिवहन निगम (केएसआरटीसी) को अस्थायी राहत दी। कोर्ट ने केएसआरटीसी की बसों में विज्ञापनों पर रोक लगाने के केरल हाईकोर्ट के आदेश पर स्टे लगाया।
बता दें, केरल हाईकोर्ट ने निर्देश दिया था कि बसों पर कोई विज्ञापन प्रदर्शित नहीं किया जाना चाहिए।
जस्टिस सूर्यकांत और जेके माहेश्वरी की पीठ ने सू मोटो मामले में हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ केएसआरटीसी की विशेष अनुमति याचिका में अंतरिम आदेश पारित किया।
निगम की ओर से सीनियर एडवोकेट वी गिरी ने पीठ को सूचित किया कि केएसआरटीसी ने विज्ञापनों के लिए इस तरह से एक योजना तैयार की है जिससे जनता का ध्यान भंग न हो।
इस पर संज्ञान लेते हुए पीठ ने राज्य सरकार को इस योजना पर विचार करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही हाईकोर्ट के निर्देश पर रोक लगाने का निर्देश दिया।
पिछली सुनवाई की तारीख पर पीठ ने केएसआरटीसी को विज्ञापन प्रदर्शित करने के लिए एक योजना प्रस्तावित करने का निर्देश दिया था।
इसके बाद, गिरि ने कहा कि एक योजना प्रस्तावित की गई है, जिसके तहत सामने, साइड की खिड़कियों या पीछे के शीशों पर विज्ञापन नहीं किए जाएंगे। विज्ञापन केवल बसों के किनारों और पिछले हिस्से में प्रदर्शित किए जाएंगे।
सीनियर वकील ने प्रस्तुत किया कि मोटर वाहन नियम इस तरह के विज्ञापन की अनुमति देते हैं।
उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट ने एक स्वत: संज्ञान मामले में निर्देश पारित किया, जो अक्टूबर 2022 में वडक्कनचेरी में पर्यटक बस दुर्घटना के बाद शुरू हुआ था, जिसके परिणामस्वरूप कई स्कूली बच्चों की मौत हो गई थी।
उन्होंने तर्क दिया कि हाईकोर्ट ने ठेका गाड़ियों में इस तरह के बड़े पैमाने पर उल्लंघनों को ध्यान में रखते हुए एलईडी लाइट, हॉर्न, साउंड सिस्टम, ग्लास पर बैनर आदि के इस्तेमाल के खिलाफ कई निर्देश पारित किए थे। हालांकि, बस में विज्ञापनों के खिलाफ निर्देश पारित करने की कोई आवश्यकता नहीं थी।
उन्होंने बताया कि नकदी संकट से जूझ रहे निगम के लिए विज्ञापन आय का एक प्रमुख स्रोत है।