सुप्रीम कोर्ट ने अपनी मां की निर्मम हत्या करने और उसके अंग खाने के दोषी व्यक्ति की मौत की सजा पर रोक लगाई।
जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस उज्जल भुयान की पीठ ने महाराष्ट्र राज्य को नोटिस जारी करते हुए आदेश पारित किया।
संक्षेप में मामला
मामला यह है कि याचिकाकर्ता-सुनील कुचकोरवी ने अगस्त 2017 में अपनी मां की हत्या की थी। उसे तब गिरफ्तार किया गया, जब पड़ोस के एक बच्चे ने उसे खून के धब्बों से लथपथ अपनी मां के शव के पास खड़ा पाया।
अभियोजन पक्ष के मामले के अनुसार, कुचकोरवी की पत्नी ने उसे छोड़ दिया और अपनी तीन बेटियों और एक बेटे को अपने साथ ले गई, क्योंकि वह उसकी शराब पीने की आदत के कारण उसे लगातार प्रताड़ित करती थी। ऐसे में वह अपनी मां के साथ रहता था, जिसे पेंशन के रूप में 4,000 रुपये मिलते थे। कुचकोरवी अक्सर शराब पीने के बाद उससे झगड़ा करता था और उसके साथ मारपीट करता था।
जुलाई 2021 में कोल्हापुर की एक सेशन कोर्ट ने उसे दोषी करार देते हुए मौत की सज़ा सुनाई और कहा कि इस घटना ने "समाज की सामूहिक चेतना" को झकझोर दिया। इसने आगे कहा कि यह मामला "अत्यधिक क्रूरता और बेशर्मी" से जुड़ा है।
मामला जब बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंचा तो कुचकोरवी द्वारा उठाए गए बचावों में से एक यह था कि उसने अपराध किया होगा, क्योंकि उसे बिल्लियों और सूअरों का मांस खाने की आदत थी।
उसे दी गई मौत की सज़ा बरकरार रखते हुए हाईकोर्ट ने कहा,
"यह एक दुर्लभतम मामला है, जिसमें अपीलकर्ता ने न केवल अपनी माँ की हत्या की, बल्कि उसके मस्तिष्क, हृदय आदि जैसे अंगों को निकाल लिया और उसे चूल्हे पर पकाने वाला था।"
हाईकोर्ट का यह भी मानना था कि कुचकोरवी का आचरण नरभक्षण के करीब था। इसलिए उसे आजीवन कारावास की सज़ा देने से जेल में बंद कैदियों और बाद में समाज के लिए खतरा पैदा हो जाएगा।
यह भी नोट किया गया कि उसने समाज में पुनर्वास के लिए किसी तरह का पश्चाताप या अवसर नहीं दिखाया।
हाईकोर्ट ने रेखांकित किया,
"ऐसे व्यक्ति को रिहा करना उसे समाज के सदस्यों के समान अपराध करने की खुली छूट और स्वतंत्रता देने के समान होगा।"
केस टाइटल: सुनील रामा कुचकोरवी बनाम महाराष्ट्र राज्य, डायरी नंबर 57476-2024