सुप्रीम कोर्ट ने एंटी कास्ट मैरिज ऑर्गेनाइजेशन के खिलाफ उड़ीसा हाईकोर्ट की प्रतिकूल टिप्पणियां खारिज की

Update: 2022-10-20 07:36 GMT

सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एंटी कास्ट मैरिज ऑर्गेनाइजेशन और वन चाइल्ड फैमिली ऑर्गेनाइजेशन (AMOFOI) के खिलाफ उड़ीसा हाईकोर्ट की प्रतिकूल टिप्पणियों को खारिज कर दिया।

2013 में माता-पिता की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का निपटारा करते हुए एक फैसले में उच्च न्यायालय ने नाबालिग लड़की की शादी में कथित तौर पर मदद करने के लिए AMOFOI पर 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था।

ऑर्गेनाइजेशन का प्रतिनिधित्व करने वाले बी रामचंद्र सीएसटी वोल्टेयर ने की गई टिप्पणियों और लगाए गए जुर्माने को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष, हिरासत में लिए गए लड़की ने एक हलफनामा दायर किया जिसमें कहा गया था कि उसने स्वेच्छा से, अपनी इच्छा से, लड़के से शादी की है और शादी की तारीख को दोनों बालिग थे और उन्होंने एएमओएफओआई की मदद ली थी क्योंकि घर वाले शादी का विरोध कर रहे थे।

आगे कहा कि वे एक सुखी वैवाहिक जीवन जी रहे हैं और उनके विवाह से दो बच्चे पैदा हुए हैं और उनके माता-पिता ने भी सुलह कर ली है।

जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने कहा,

"उस परिस्थिति में, हमारी राय में, जब पक्ष स्वयं यह संकेत दे रहे हैं कि उनके बीच विवाह कैसे हुआ था और जिस कारण से पक्षों ने अपीलकर्ता के संगठन से सहायता मांगी थी, हमारे लिए यह उचित नहीं होगा कि वर्तमान परिस्थिति में अपीलकर्ता को दंडित करें। इसलिए, उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश अपीलकर्ता के खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणियां करने और आपराधिक मुकदमा चलाने के साथ-साथ जुर्माना लगाने का निर्देश भी खारिज किया जाता है।"

अदालत ने कहा कि राज्य सरकार इस तरह के सभी संगठनों के कामकाज की निगरानी करेगी और अगर कानून के विपरीत कोई गतिविधि होती है, तो उचित कार्रवाई की जाएगी।

केस टाइटल: बी. रामचंद्र सीएसटी वोल्टेयर बनाम अमूल्य कुमार जेना | एसएलपी (सीआरएल) संख्या (एस).10110-10112/2013

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