उच्च पद पर होने से कोई अभियुक्त अग्रिम जमानत का हकदार नहीं हो जाता : सुप्रीम कोर्ट
"जो जितना बड़ा पद संभालता है, उसकी उतनी ही बड़ी जिम्मेदारी भी होती है।"
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उच्च पद पर विराजमान होने से कोई अभियुक्त अग्रिम जमानत का हकदार नहीं हो जाता है।
यह मामला 2007 के बिहार नगरपालिका चुनाव से जुड़ा है। अनिल सिंह उर्फ अनिल कुमार सिंह और अन्य को वर्ष 2007 में हुए जनरल नगरपालिका चुनावों में दाखिल नामांकन पत्रों में कथित तौर पर झूठी जानकारियां उपलब्ध कराने के लिए बिहार नगर पालिका अधिनियम, 2007 की धारा 447 के तहत अभियुक्त बनाया गया था। राज्य निर्वाचन आयोग ने आरोपों को सही पाया था और निर्वाचन को रद्द कर दिया था। आयोग ने संबंधित कानून की धारा 447 तथा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 420/34 के तहत प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश भी दिया था।
अनिल सिंह और अन्य ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रिट याचिका दायर करके पटना हाईकोर्ट के समक्ष लंबित अग्रिम जमानत याचिकाओं के निपटारे के लिए दिशानिर्देश दिये जाने की मांग की थी। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली तीन-सदस्यीय खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं के वकील से कहा कि इस तरह के दिशानिर्देश जारी करना संभव नहीं है। इसके बाद वकील ने बेंच के समक्ष मामले के मेरिट पर बहस की। उन्होंने दलील दी कि अभियुक्त जांच में हिस्सा लेने को तैयार हैं और याचिकाकर्ताओं को हिरासत में लेकर जांच की आवश्यकता नहीं है।
बेंच ने कहा,
"हम याचिकाकर्ताओं के आचरण के मद्देनजर उनके वकील की दलीलों से सहमत होने में असमर्थ हैं, क्योंकि जितना बड़ा पद होता है, उतनी बड़ी उस व्यक्ति की जिम्मेदारी होती है और इस मामले में भी ऐसा ही है। यह नहीं कहा जा सकता कि याचिकाकर्ता उच्च पद पर विराजमान हैं, इसलिए उन्हें अग्रिम जमानत का स्वयमेव हक मिल जाता है।" बेंच में न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय भी शामिल हैं।
बेंच ने उसके बाद अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी।
केस का नाम : अनिल कुमार सिंह उर्फ अनिल सिंह बनाम पटना हाईकोर्ट
केस नंबर : रिट याचिकाएं (क्रिमिनल) संख्या 293 / 2020
कोरम : न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय
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