सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट्स के आईटी नियम, 2021 और केबल टीवी संशोधन नियमों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने पर रोक लगाई
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 (आईटी नियम, 2021) और केबल टीवी नेटवर्क (संशोधन) नियम 2021 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर हाईकोर्ट्स में आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी।
जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस अभय एस ओका की बेंच ने केंद्र सरकार द्वारा दायर स्थानांतरण याचिकाओं में नोटिस जारी करते हुए उक्त आदेश पारित किया। इस याचिका में हाईकोर्ट्स से सुप्रीम कोर्ट में याचिकाओं को स्थानांतरित करने की मांग की गई थी।
पीठ ने हालांकि कहा कि वह इस समय हाईकोर्ट्स द्वारा पारित अंतरिम आदेशों में हस्तक्षेप नहीं कर रही है। वह केवल स्थगन आवेदनों पर नोटिस जारी कर रही है।
जस्टिस खानविलकर ने लाइव लॉ मीडिया प्राइवेट लिमिटेड का प्रतिनिधित्व कर रही एडवोकेट वृंदा भंडारी से मौखिक रूप से कहा,
"हम किसी अंतरिम आदेश को नहीं छू रहे हैं... हम इसे 19 मई, 2022 को देखेंगे।"
बेंच द्वारा पारित आदेश में कहा गया,
"हम संबंधित मामलों में हाईकोट्स के समक्ष लंबित आगे की कार्यवाही पर रोक लगाने या आईटी नियमों या केबल टीवी संशोधन नियमों को चुनौती देने वाली सुनवाई की अगली तारीख तक दायर करने का निर्देश देते हैं, जो मामलों के इस सेट में कार्यवाही का विषय हैं।"
मामलों की अगली सुनवाई 19 मई को होगी।
बेंच ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से मामलों को 1) आईटी नियमों को चुनौती, 2) केबल टीवी संशोधन नियमों को चुनौती, 3) अनुच्छेद 32 एक के रूप में वर्गीकृत करने का अनुरोध किया। इसके अलावा, आम तौर पर विकसित सिस्टम के लिए दिशा-निर्देश मांगने वाली याचिकाएं हैं, जो आईटी नियमों के विषय से संबंधित होंगी।
पीठ ने कहा कि चूंकि आईटी नियम अब लागू हो गए हैं, ऑनलाइन मीडिया और ओटीटी सामग्री को विनियमित करने के लिए याचिका निर्देश आगे विचार के लिए जीवित नहीं रह सकते हैं।
पीठ ने यह भी कहा कि वह घृणा, अपराधों और अभद्र भाषा से जुड़े मामलों पर अलग से विचार करेगी।
उल्लेखनीय है कि केरल, बॉम्बे और मद्रास के हाईकोर्ट ने आईटी नियम, 2021 को चुनौती देने वाली याचिकाओं में अंतरिम आदेश पारित किए हैं।
मार्च, 2021 में केरल हाईकोर्ट की एकल पीठ ने लाइव लॉ द्वारा दायर याचिका पर अंतरिम राहत दी थी। इस याचिका में आईटी नियमों को चुनौती देते हुए आदेश दिया गया था कि नियमों के तहत इसके खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाना चाहिए। जून, 2021 में केरल हाईकोर्ट द्वारा न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन को इसी तरह की अंतरिम राहत दी गई थी।
अगस्त, 2021 में बॉम्बे हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कानूनी पोर्टल द लीफलेट चलाने वाली कंपनी द्वारा दायर याचिका पर आईटी नियमों के तहत "आचार संहिता" के प्रवर्तन पर रोक लगा दी थी।
हाईकोर्ट ने प्रथम दृष्टया पाया कि उक्त प्रावधान अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत बोलने की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करते हैं और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2002 के मूल प्रावधानों के भी खिलाफ हैं।
उसके बाद सितंबर, 2021 में मद्रास हाईकोर्ट ने डिजिटल मीडिया के खिलाफ आईटी नियमों को लागू करने पर भी रोक लगा दी। हाईकोर्ट कहा कि निगरानी सिस्टम मीडिया की स्वतंत्रता का हनन करता है।
डिजिटल समाचार पोर्टल "द वायर" और "द क्विंट" और सोशल मीडिया मध्यस्थ फेसबुक ने नियमों को चुनौती देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
2 सितंबर, 2021 को भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने एसजी द्वारा किए गए अनुरोध पर आईटी नियमों से संबंधित याचिकाओं को छह सप्ताह के बाद सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया था।