सुप्रीम कोर्ट ने पार्टी के दोहरे संविधान को लेकर पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और अकाली दल के नेताओं के खिलाफ जालसाजी का मामला खारिज किया
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पार्टी का दोहरा संविधान अपनाने के आरोप में शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल, उनके पिता और पंजाब के पांच बार के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और पार्टी के सीनियर उपाध्यक्ष दलजीत सिंह चीमा के खिलाफ कथित जालसाजी मामले में लंबित आपराधिक कार्यवाही रद्द कर दी।
प्रकाश सिंह बादल का 25 अप्रैल को 95 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने कहा,
"हमने भारतीय दंड संहिता के प्रासंगिक प्रावधानों पर विचार किया और देखा कि आरोपों को ध्यान में रखते हुए भी अपराध का कोई भी तत्व नहीं बनता। इसलिए हाईकोर्ट को समन आदेश रद्द कर देना चाहिए और अलग कर देना चाहिए। शिकायतकर्ता के कथनों को सत्य मानते हुए भी अपराधों के तत्व नहीं बनते। ट्रायल कोर्ट द्वारा सम्मन आदेश कानून की प्रक्रिया के दुरुपयोग के अलावा और कुछ नहीं है और यह पूरी आपराधिक कार्यवाही रद्द करने का आधार है।"
निष्कर्ष निकालने से पहले पीठ ने यह भी कहा,
"हमने समन आदेश केवल पूर्वोक्त आधार पर रद्द कर दिया और पार्टी के गठन पर कुछ भी नहीं कहा। वर्तमान आदेश दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष लंबित कार्यवाही को प्रभावित नहीं करेगा, जिसकी सूचना दी गई कि उसका भारत के चुनाव आयोग द्वारा पारित आदेश के खिलाफ लंबित होना।"
मामले की पृष्ठभूमि
विचाराधीन मुद्दा यह था कि क्या जालसाजी का अपराध किया गया, क्योंकि पार्टी के संविधान के दो अलग-अलग संस्करण हैं, चुनाव आयोग के लिए धर्मनिरपेक्ष संस्करण और दूसरा शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) के लिए, जो देश भर के गुरुद्वारों के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार शीर्ष धार्मिक निकायहै।
जिस समन को अब रद्द कर दिया गया है, वह आपराधिक मामले में जारी किया गया था, जिसे होशियारपुर के सोशल एक्टिविस्ट और सोशलिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बलवंत सिंह खेड़ा ने तथ्यों की जालसाजी, धोखाधड़ी और छुपाने का आरोप लगाते हुए दर्ज कराया था।
उन्होंने शिरोमणि अकाली दल पर कथित रूप से चुनाव आयोग को धर्मनिरपेक्ष पार्टी होने का दावा करने और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का पालन करने का झूठा वादा करने का आरोप लगाया, जबकि एक ही समय में सर्वोच्च धार्मिक निकाय द्वारा कराये गए चुनावों का विरोध किया।
अपीलकर्ताओं के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 420, 465, 466, 467, 468 और सपठित धारा 120 के तहत मामला दर्ज किया गया था।
बादलों और चीमा ने अगस्त 2021 के उस आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसके द्वारा पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने होशियारपुर के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा उनके खिलाफ जारी सम्मन रद्द करने से इनकार कर दिया था।
केस टाइटल- सुखबीर सिंह बादल बनाम बलवंत सिंह खेड़ा व अन्य। | क्रिमिनल अपील नंबर 1116/2023 एवं इससे जुड़े मामले