सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से पंजाब DGP की नियुक्ति रद्द करने के CAT के फैसले पर सुनवाई में तेजी लाने को कहा
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय से कहा कि वो पंजाब सरकार की केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (चंडीगढ़ बेंच) के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई को तेज करे जिसमें दिनकर गुप्ता की राज्य के पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति रद्द कर दी गई थी।
न्यायमूर्ति एस अब्दुल नज़ीर की अध्यक्षता वाली पीठ ने वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी मोहम्मद मुस्तफा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए अपने आदेश में कहा कि वो उच्च न्यायालय से मामले की सुनवाई में तेज़ी लाने का अनुरोध करते हैं क्योंकि उच्च न्यायालय द्वारा दी गई" लंबी तारीख "पर सवाल उठाया गया है।
दरअसल कैट के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की अपील पर सुनवाई के लिए हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 26 फरवरी की तारीख तय की है।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील पीएस पटवालिया ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और पंजाब के एडवोकेट जनरल अतुल नंदा के भरोसे के बाद याचिका वापस ले ली जब पंजाब सरकार की ओर से पीठ को बताया गया कि राज्य हाईकोर्ट में इस मामले पर बहस के लिए तैयार है और वह जब मामला 26 फरवरी को सुनवाई के लिए आएगा तो सुनवाई टालने की मांग नहीं की जाएगी।
दरअसल मुस्तफा अगले साल फरवरी में सेवानिवृत्त होने वाले हैं। उनकी दलील है कि प्रकाश सिंह के मामले में सुप्रीम कोर्ट के 2006 के फैसले के अनुसार डीजीपी के रूप में चयनित होने वाले उम्मीदवार का सेवानिवृत्ति से पहले न्यूनतम छह महीने का कार्यकाल होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस कानूनी स्थिति के कारण मामले की सुनवाई में देरी होने से शीर्ष पद के लिए विचार किए जाने की संभावना पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। यदि अगस्त 2020 तक मामला तय नहीं हुआ तो वह प्रकाश सिंह के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के मद्देनज़र इस दौड़ से बाहर हो जाएंगे।
अपने वकील एजाज मक़बूल के माध्यम से उन्होंने कहा कि् देरी कैट में मामला जीतने के बावजूद शीर्ष पद के लिए उनके अवसरों को बर्बाद कर सकती है।
गौरतलब है कि कैट की चंडीगढ़ बेंच ने 17 जनवरी को गुप्ता की पंजाब डीजीपी के रूप में नियुक्ति को यह कहते हुएरद्द कर दिया था कि उनकी नियुक्ति में पूरी प्रक्रिया प्रकाश सिंह के मामले में सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करती है।
हालांकि, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने 21 जनवरी को कैट के आदेश पर रोक लगा दी और मामले को 26 फरवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया। उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार और संघ लोक सेवा आयोग को भी उसके सामने सभी संबंधित रिकॉर्ड रखने को कहा था।