सुप्रीम कोर्ट ने किरायेदार को जबरन बेदखल करने का आदेश दिया, जेल की चेतावनी दी
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के सलेम में किरायेदार को परिसर खाली करने के वचन की जानबूझकर अवज्ञा करने का दोषी पाते हुए परिसर से जबरन बेदखल करने का आदेश दिया।
जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई की खंडपीठ ने सलेम के प्रधान जिला मुंसिफ को पुलिस की सहायता से कब्जा लेने और 84 वर्षीय किरायेदार सेल्वाराजू को हिरासत में लेने का निर्देश दिया, यदि वह विरोध करता है। अदालत ने जनवरी 2024 से ₹10,000 प्रति माह कब्जा शुल्क भी लगाया।
खंडपीठ ने पुलिस को अगली सुनवाई में पेश होने के लिए सेल्वाराजू से एक नया वचनपत्र लेने का निर्देश दिया। अगर वह फिर से चूकता है तो अदालत ने चेतावनी दी कि वह गैर-जमानती वारंट जारी करेगी और उसे उचित सजा के साथ जेल भेज देगी।
आगे कहा गया,
"यदि वह उपस्थित नहीं होता है या इस न्यायालय के आदेश का पालन नहीं करता है तो हम उसे तुरंत गैर-जमानती वारंट जारी करके हिरासत में लेने और उचित सजा सुनाते हुए जेल भेजने के लिए बाध्य होंगे।"
उम्र और अस्वस्थता का हवाला देते हुए उसकी दलीलों को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि सेल्वाराजू अनुपालन में देरी के लिए "अनुचित" बहाने बना रहा है। अदालत ने चेतावनी दी कि आगे कोई भी चूक गैर-जमानती वारंट और जेल की सजा का कारण बनेगी।
इस मामले की सुनवाई 27 अक्टूबर को फिर से होगी।
सेल्वाराजू की विशेष अनुमति याचिका [एसएलपी(सी) नंबर 13281/2023], जिसमें उसकी बेदखली को चुनौती दी गई, उसको सुप्रीम कोर्ट ने 14 अगस्त, 2023 को खारिज किया। अदालत ने उसे 31 दिसंबर, 2023 तक घर खाली करने का समय देते हुए बकाया राशि का भुगतान वचनबद्धता दाखिल करने और तीसरे पक्ष के हितों का निर्माण न करने जैसी शर्तें लगाईं।
हालांकि, अवमाननाकर्ता ने न तो कोई वचनपत्र दाखिल किया और न ही परिसर खाली किया, जिसके कारण अवमानना कार्यवाही शुरू हुई।
बार-बार नोटिस के बावजूद, सेल्वाराजू अदालत में पेश नहीं हुए। अगस्त 2025 में ज़मानती वारंट जारी होने और तामील होने के बाद भी वह 19 सितंबर को पेश होने के अपने वचनपत्र का सम्मान करने में विफल रहे।
उन्होंने अपनी अनुपस्थिति के कारणों के रूप में वृद्धावस्था, अस्वस्थता और वित्तीय अक्षमता का हवाला देते हुए पत्र भेजे थे। खंडपीठ ने इन बहानों को "अनुचित और अस्वीकार्य" बताते हुए खारिज किया और कहा कि ये अनुपालन से बचने के लिए मात्र बहाने है।
अदालत ने कहा,
"अवमाननाकर्ता परिसर खाली नहीं करना चाहता है और या तो उम्र के आधार पर बहाना बनाना चाहता है, या मामले की गुण-दोष के आधार पर दलील देना चाहता है। जानबूझकर अनुपालन न करने के मामले में ये आधार महत्वहीन हैं।"
केस टाइटल: जयकंदमल बनाम ए. सेल्वाराजू | CONMT.PET.(C) संख्या 44/2025, SLP(C) संख्या 13281/2023 में