सुप्रीम कोर्ट ने ऑक्सीजन प्रबंधन पर 'मुंबई मॉडल' की प्रशंसा करते हुए केंद्र और दिल्ली को इससे सीख लेने को कहा

Update: 2021-05-05 14:15 GMT

सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुझाव दिया कि दिल्ली में COVID19 रोगियों के लिए तरल चिकित्सा ऑक्सीजन आपूर्ति के प्रबंधन के लिए मुंबई मॉडल को अपनाया चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुंबई निगम ने ऑक्सीजन की स्थिति का प्रबंधन करने के लिए अच्छा काम किया है और पूछा कि क्या इस मॉडल को दिल्ली में भी अपनाया जा सकता है?

जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने कहा कि,''ग्रेटर मुंबई नगर निगम के अनुभव से कुछ सीखें; वे कुछ महान काम कर रहे हैं।''

पीठ केंद्र सरकार की तरफ से दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा जारी किए गए कारण बताओ नोटिस के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने अवमानना के मामले में यह नोटिस जारी किया था क्योंकि अदालत के आदेशों के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली को प्रतिदिन 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं की गई।

सुनवाई के दौरान, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की खंडपीठ ने सुझाव दिया कि बॉम्बे नगर निगम द्वारा अपनाए गए मॉडल को दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी के मुद्दे से निपटने के लिए अपनाया जाना चाहिए।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि,''हर दिन जानकारी का खजाना सामने आ रहा है। बॉम्बे नगर निगम कुछ महान कार्य कर रहा है, इससे दिल्ली का कोई अपमान नहीं होगा। वे क्या कर रहे हैं, वे कैसे प्रबंधन कर रहे हैं। हम उनसे सीख सकते हैं। मैं यह भी समझता हूं कि महाराष्ट्र ऑक्सीजन का उत्पादन भी करता है,जो दिल्ली नहीं कर सकती है।''

सॉलिसिटर-जनरल तुषार मेहता ने न्यायाधीश के साथ सहमति व्यक्त की और कहा, ''मैं मुंबई मॉडल की सराहना करता हूं। यह एक राजनीतिक मॉडल नहीं है। न्यायालय के एक अधिकारी के रूप में, केंद्र या राज्य के लिए नहीं, हमें समाधान खोजने की आवश्यकता है। लोगों को इस तरह भटकने नहीं दिया जा सकता है। यह दिल्ली के प्रयासों को कमजोर करने के लिए नहीं है।''

एसजी ने यह भी कहा कि मुंबई में मामले भी घट रहे हैं और यहां जितने मामले होने के बावजूद भी मुंबई में ऑक्सीजन की खपत कम थी। मुंबई ने 275 मीट्रिक टन ऑक्सीजन के साथ काम किया जब सक्रिय मामले 92,000 से भी ज्यादा थे। एसजी ने कहा कि बॉम्बे को मॉडल भेजने का अनुरोध किया गया है ताकि अन्य राज्य भी इसका अनुकरण कर सकें।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि आपातकालीन समय के लिए ऑक्सीजन के बफर स्टॉक का निर्माण किया जाना चाहिए था। उन्होंने आगे सुझाव दिया कि दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार, दोनों के मुख्य सचिव और स्वास्थ्य सचिव को मुंबई के अनुभवों से सीखने के लिए मुंबई निगम के आयुक्त के साथ बातचीत करनी चाहिए।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि,

''अगर यह मुंबई में किया जा सकता है, जो एक अविश्वसनीय रूप से भीड़भाड़ वाला शहर है, तो यह दिल्ली में भी किया जा सकता है। यदि दिल्ली और केंद्र,दोनों के मुख्य सचिव और स्वास्थ्य सचिव इस मामले में बीएमसी आयुक्त और अतिरिक्त आयुक्त के साथ बातचीत करते हैं, तो आप उस अनुभव से सीख सकते हैं कि कैसे स्टोरेज टैंक और बफर स्टोरेज आदि बनाए जा सकते हैं। यदि आप आज और सोमवार के बीच ऐसा कर लेते हैं, तो हमें बॉम्बे मॉडल पर दिल्ली के लिए एक योजना मिल जाएगी और हमारे पास दिल्ली महानगर के लिए एक सफल मॉडल होगा।''

न्यायाधीश ने कहा, ''हम विश्लेषण करना चाहते हैं कि मुंबई जैसे बड़े महानगर में क्या किया गया और इसका अनुकरण कैसे किया जा सकता है, क्योंकि हम दिल्ली के नागरिकों के प्रति जवाबदेह हैं।''

सुनवाई के बाद पारित आदेश में, बेंच ने उल्लेख किया किः

''इस बात पर सहमति बनी है कि जीएनसीटीडी और केंद्र के अधिकारियों की एक टीम अगले तीन दिनों के भीतर नगर निगम ग्रेटर मुंबई के अधिकारियों और चिकित्सा विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श करेगी और ऑक्सीजन आपूर्ति बढ़ाने में पालन किए जाने वाले तौर-तरीकों से कुछ सीख लेगी। उन साझा अनुभवों के आधार पर, दिल्ली में भी मुंबई की प्रशासनिक व्यवस्था को दोहराने के लिए कदम उठाए जा सकते हैं।''

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा केंद्र को जारी किए गए अवमानना​ कारण बताओ नोटिस पर रोक लगा दी और कहा कि दिल्ली में दैनिक ऑक्सीजन की आपूर्ति को 700 मीट्रिक टन तक बढ़ाने के लिए कल एक योजना प्रस्तुत करें।

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