सुप्रीम कोर्ट ने कश्मीरी अलगाववादी शाबिर अहमद शाह को अंतरिम ज़मानत देने से किया इनकार

Update: 2025-09-04 08:15 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने कश्मीरी अलगाववादी नेता शब्बीर अहमद शाह की आतंकवाद वित्तपोषण मामले में ज़मानत याचिका पर नोटिस जारी किया। इस समय अंतरिम ज़मानत देने से इनकार कर दिया।

जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की।

सीनियर एडवोकेट कॉलिन गोंजाल्विस शाह की ओर से पेश हुए।

अदालत से अनुरोध किया कि शाह की बेहद बीमारी के कारण उन्हें अंतरिम ज़मानत दी जाए, बशर्ते कि वे घर पर ही रहें। 

गोंजाल्विस ने कहा, 

"उनके भाषणों के दिन अब ख़त्म हो गए हैं।"

अदालत आज ही रिहाई का आदेश देने के लिए तैयार नहीं थी।

शाह को जून, 2019 में गिरफ्तार किया गया था और 4 अक्टूबर 2019 को NIA द्वारा दायर दूसरे पूरक आरोपपत्र में उन्हें आरोपी बनाया गया था। 

उन पर आरोप हैं कि उन्होंने जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी आंदोलन खड़ा करने मारे गए आतंकवादियों के परिवारों को श्रद्धांजलि देने हवाला लेनदेन के माध्यम से धन प्राप्त करने और एलओसी व्यापार के माध्यम से धन जुटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसका इस्तेमाल विध्वंसक और आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए किया गया।

उन्होंने 7 जुलाई, 2023 को विशेष NIA अदालत द्वारा उनकी ज़मानत याचिका खारिज करने के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया लेकिन उनकी याचिका खारिज कर दी गई। 

उनकी याचिका में कहा गया कि NIA द्वारा दायर मुख्य और पहले पूरक आरोपपत्र में उनका उल्लेख नहीं था जहां यह दिखाया गया कि अपराध कथित तौर पर साजिश के परिणामस्वरूप हुए।

अपील में कहा गया,

"अतः अपीलकर्ता के विरुद्ध किसी भी साक्ष्य/सामग्री के अभाव लंबी अवधि तक कारावास अभियोजन पक्ष द्वारा 400 गवाहों से पूछताछ के साथ शीघ्र सुनवाई की असंभवता को देखते हुए अपीलकर्ता जमानत की मांग करता है।"

दूसरी ओर, NIA ने तर्क दिया कि विभिन्न अभियुक्तों (शाह सहित) ने कश्मीर घाटी में अशांति फैलाने और भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध छेड़ने के लिए धन जुटाने और इकट्ठा करने की साजिश रची।

केस टाइटल: शब्बीर अहमद शाह बनाम राष्ट्रीय जांच एजेंसी, विशेष अनुमति याचिका 

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