पुलिस को हर तरह के पूर्वाग्रह से ऊपर उठना चाहिए: अकोला दंगों में हमले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने हिन्दू और मुस्लिम अफसरों वाली SIT गठित की

Update: 2025-09-11 07:01 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने 2023 के अकोला दंगों के दौरान हुए हमले की निष्पक्ष जांच न करने के लिए महाराष्ट्र पुलिस की कड़ी आलोचना की। साथ ही विशेष जांच दल (SIT) गठित करने का आदेश दिया। अदालत ने स्पष्ट किया कि SIT में सीनियर अधिकारी होंगे, जिनमें हिन्दू और मुस्लिम दोनों समुदायों के अधिकारी शामिल किए जाएंगे।

जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश उस याचिका पर सुनाया, जिसे एक व्यक्ति ने दायर किया था। उसने दावा किया कि वह दंगों के दौरान हुई हत्या का प्रत्यक्षदर्शी है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि वास्तविक हमलावरों को छोड़कर पुलिस ने कुछ मुस्लिम व्यक्तियों के खिलाफ FIR दर्ज की और जांच पक्षपाती रही। उसने दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई और स्वतंत्र जांच की मांग की।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा,

“एक बार जब कोई व्यक्ति पुलिस की वर्दी पहनता है तो उसे धर्म, जाति या किसी अन्य प्रकार के पूर्वाग्रह से ऊपर उठकर कानून के अनुसार कर्तव्य निभाना चाहिए।”

याचिकाकर्ता ने पहले बॉम्बे हाईकोर्ट में SIT गठित करने की मांग की थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने उसकी अर्जी खारिज की। हाईकोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता ने समय रहते पुलिस को अपनी बात नहीं बताई चार्जशीट दाखिल हो चुकी है और याचिका ग़लत मकसद से प्रेरित लगती है। साथ ही अदालत ने यह भी कहा था कि मृतक के वास्तविक परिजनों ने कभी यह दावा नहीं किया कि अभियोजन गलत व्यक्तियों को निशाना बना रहा है।

हाईकोर्ट के इस आदेश को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।

पूरा मामला:

मई, 2023 में अकोला में पैग़ंबर मोहम्मद को लेकर सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट के बाद साम्प्रदायिक हिंसा भड़क उठी थी। इसमें विलास महादवराव गायकवाड़ की मौत हो गई थी और उस समय 17 वर्षीय याचिकाकर्ता भी घायल हुआ था।

याचिकाकर्ता का कहना है कि उसने चार लोगों को गायकवाड़ पर तलवार लोहे की पाइप और अन्य हथियारों से हमला करते देखा। जब उसने बीच-बचाव की कोशिश की तो उसे भी पीटा गया और उसका वाहन जला दिया गया। अस्पताल में भर्ती होने के बाद उसका बयान पुलिस ने दर्ज किया लेकिन FIR दर्ज नहीं की गई।

दूसरी ओर, महाराष्ट्र पुलिस का कहना है कि अस्पताल में याचिकाकर्ता बोलने की स्थिति में नहीं था और उसका बयान दर्ज नहीं किया गया। हत्या के मामले में पुलिस ने जांच कर चार्जशीट दाखिल कर दी थी और अभियुक्तों से हत्या के हथियार बरामद किए गए।

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