सरकारी आवास पर अनिश्चितकाल तक काबिज नहीं रहना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व विधायक पर 20 लाख किराए की मांग को मंजूरी दी

Update: 2025-07-22 10:03 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व बिहार विधायक अविनाश कुमार सिंह द्वारा सरकारी आवास पर अनधिकृत रूप से लंबे समय तक कब्जा बनाए रखने पर नाराज़गी जताई और उन पर 20 लाख से अधिक का किराया वसूलने के आदेश को सही ठहराया।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बीआर गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस एन. वी. अंजारिया की बेंच ने पटना हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें पूर्व विधायक से 20,98,757 का हाउस रेंट वसूलने के सरकार के आदेश को बरकरार रखा गया था।

चीफ जस्टिस सुनवाई के दौरान कहा,

"कोई भी व्यक्ति अनिश्चितकाल तक सरकारी आवास पर कब्जा नहीं बनाए रख सकता।"

बेंच ने याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए याचिकाकर्ता को इसे वापस लेने की अनुमति दे दी।

आदेश में कहा गया:

याचिकाकर्ता को कानून के तहत उपलब्ध उपाय अपनाने की स्वतंत्रता दी जाती है।"

मामले की पृष्ठभूमि:

अविनाश कुमार सिंह को वर्ष 2006 में पुनः विधायक निर्वाचित होने के बाद सरकारी क्वार्टर आवंटित किया गया था, जिसे वे 2015 तक उपयोग में लाते रहे। नवंबर, 2015 में सरकार ने उन्हें आवास खाली करने का निर्देश दिया क्योंकि उसे एक मंत्री को आवंटित किया जाना था।

जनवरी, 2016 में याचिकाकर्ता ने पटना हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दायर की, लेकिन उसे बिना शर्त वापस ले लिया।

एक अन्य दीवानी वाद (Civil Suit) भी जबरन बेदखली के विरुद्ध दायर किया गया, जिसे बाद में वापस ले लिया गया। अगस्त, 2016 में याचिकाकर्ता को 20,98,757 किराया चुकाने का नोटिस दिया गया। उन्होंने एक नई रिट याचिका फिर दायर की, जिसे जनवरी, 2021 में खारिज कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने लेटर पेटेंट अपील (LPA) दायर की, जिसे खंडपीठ ने खारिज करते हुए उनके आचरण की निंदा की।

खंडपीठ ने कहा,

"जैसे ही याचिकाकर्ता विधायक नहीं रहे, उन्हें तुरंत आवास खाली कर देना चाहिए था। अधिसूचना दिनांक 21.08.2008 के अनुसार वैकल्पिक आवास के लिए आवेदन करना चाहिए था। इसके विपरीत उन्होंने सरकारी क्वार्टर नंबर 3, टेलर रोड, पटना पर अनधिकृत रूप से कब्जा बनाए रखा और उस पर अपने नाम से नियमितकरण का दबाव बनाते रहे। 14.04.2014 से 12.05.2016 तक उनका कब्जा अवैध था। अतः ₹20,98,757 की किराया मांग पूर्णतः विधिसम्मत और उचित है।"

सुप्रीम कोर्ट ने इस बकाया राशि को बरकरार रखते हुए इसमें यह निर्देश जोड़ा,

"याचिकाकर्ता को उक्त राशि पर 24.08.2016 से भुगतान की तारीख तक 6% वार्षिक ब्याज देना होगा, क्योंकि उन्होंने स्पष्ट आदेशों के बावजूद आवास खाली नहीं किया और किराया नहीं चुकाया।"

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