COVID-19 : सुप्रीम कोर्ट ने 50 साल से अधिक उम्र, बीमार कैदियों को अंतरिम जमानत पर रिहा करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई से इनकार किया, सरकार के पास जाने को कहा
सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया जिसमें COVID-19 के चलते जेल से उन कैदियों की रिहाई के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी जो कैदी 50 साल की उम्र से ज्यादा हैं या फिर पहले से ही बीमारियों से पीड़ित हैं।
मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की पीठ ने कहा कि ये केस टू केस के आधार पर होना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा,
" हमें नहीं पता कि सरकार इस बारे में क्या सोचती है, लेकिन हमें लगता है कि यह मामला केसों के आधार पर होना चाहिए। हम सभी मामलों के लिए एक ही आदेश पारित नहीं करेंगे।आप अपने मामले के बारे में सरकार के समक्ष एक व्यक्तिगत प्रतिनिधित्व दे सकते हैं। हम सामान्य आदेश पारित करने में कोई औचित्य नहीं देखते।"
याचिकाकर्ता अमित साहनी का कहना था कि WHO ने कहा है कि कैदी जो वृद्ध हैं या फेफड़ों की बीमारी / हृदय रोगों आदि से पीड़ित हैं, उन्हें जेल से रिहा किया जाना चाहिए। हालांकि साहनी ने ये याचिका वापस ले ली। पीठ ने कहा कि वो सरकार के समक्ष प्रतिनिधित्व दाखिल कर सकते हैं।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने विश्वेंद्र तोमर द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया जिसमें जेल में बंद कैदियों को पैरोल या जमानत पर रिहा करने के शीर्ष अदालत के आदेश के बावजूद तिहाड़ जेल से रिहा होने वाले कैदियों की संख्या पर अदालत का ध्यान आकर्षित किया गया था।
याचिकाकर्ता ने कहा कि तिहाड़ की क्षमता 10 हजार कैदियों की है लेकिन जेल में 17 हजार कैदी हैं।
पीठ ने कहा कि ये राज्य सरकार और उच्च अधिकार प्राप्त समिति का क्षेत्राधिकार है कि वो किन श्रेणी के कैदियों को रिहा करें। पीठ ने याचिकाकर्ता को सरकार को प्रतिनिधित्व देने को कहा।