सुप्रीम कोर्ट ने NEET अखिल भारतीय कोटा में 27% ओबीसी, 10% ईडब्ल्यूएस आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर नोटिस जारी किया

Update: 2021-09-06 10:29 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल कोर्स के लिए NEET दाखिले की अखिल भारतीय कोटा श्रेणी में 27% ओबीसी और 10% ईडब्ल्यूएस आरक्षण को लागू करने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली एक रिट याचिका में सोमवार को नोटिस जारी किया।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की पीठ ने एक याचिका पर नोटिस जारी किया।

याचिका में उक्त आरक्षण नीति के कार्यान्वयन के लिए चिकित्सा परामर्श समिति द्वारा जारी 29 जुलाई, 2021 की अधिसूचना को भी रद्द करने की मांग करने का निर्देश दिए जाने की मांग की गई है।

याचिका में 29 जुलाई की अधिसूचना के प्रभाव और संचालन पर रोक लगाने और वर्तमान आरक्षण नीति से संबंधित तौर-तरीकों की जांच करने के लिए विशेषज्ञों की गठित समिति को निर्देश जारी करने की भी मांग की गई।

29 जुलाई, 2021 को भारत सरकार ने स्नातक और स्नातकोत्तर चिकित्सा/दंत पाठ्यक्रमों (एमबीबीएस/एमडी/एमएस/डिप्लोमा/ बीडीएस/एमडीएस)।

मामले में याचिकाकर्ताओं के लिए नील ऑरेलियो नून्स और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य, वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार ने प्रस्तुत किया कि यह नीति मद्रास हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ है।

वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार ने भी प्रस्तुत किया,

"यह मद्रास हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ है। यह एक सवाल उठाता है कि क्या ईडब्ल्यूएस श्रेणी पर विचार करने के लिए आठ लाख मानदंड होना चाहिए। इसके साथ ही यह पता होना चाहिए कि होरिजोंटल या वेरियंटल रिजर्वेशन होना चाहिए या नहीं।"

रिट में तर्क दिया गया कि 15% यूजी और 50% पीजी अखिल भारतीय कोटा सीटों के लिए समग्र आरक्षण भारत के संविधान के तहत गारंटीकृत डॉक्टरों के मौलिक अधिकारों से अवैध रूप से वंचित होगा।

याचिका में कहा गया,

"50 प्रतिशत की सीमा विपरीत भेदभाव को रोकने के लिए समानता के सिद्धांत पर आधारित है, जो कि संविधान में समानता के लिए किसी भी अन्य सिद्धांत के समान ही है।"

याचिका में यह कहा गया कि जनहित बनाम भारत संघ मामले में किए गए संदर्भ के बाद ईडब्ल्यूएस कोटा से संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट की पाँच न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष लंबित है और अभी तक इस पर विचार नहीं किया गया है।

याचिका में कहा गया,

"इसलिए जब तक इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्णय नहीं दिया जाता है, तब तक नीति इंद्रा साहनी और मार्था आरक्षण मामले में 50% की सीमा के खिलाफ अल्ट्रा वायर्स है। आक्षेपित निर्णय असंवैधानिक है क्योंकि यह आरक्षण पर लगाई गई 50% की सीमा का उल्लंघन करता है जैसा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित किया गया है।"

कोर्ट ने इसी तरह की राहत (डॉ यश टेकवानी और अन्य) की मांग करते हुए एक अन्य रिट याचिका में भी नोटिस जारी किया।

वर्तमान शैक्षणिक सत्र 2021-22 से आरक्षण मानदंड के बिना NEET PG 2021 के साथ आगे बढ़ने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने वाले डॉक्टरों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने प्रस्तुत किया कि प्रदीप जैन मामले में शीर्ष न्यायालय ने माना था कि उच्च डिग्री पाठ्यक्रमों में आरक्षण नहीं होना चाहिए।

वरिष्ठ वकील ने भी तर्क दिया,

"जैसे-जैसे आप ऊपर जाते हैं, और अधिक कोटा नहीं हो सकता।"

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने वरिष्ठ वकील के प्रस्तुतीकरण पर टिप्पणी की,

"इसकी जांच करनी होगी।"

याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व दुबे लॉ एसोसिएट्स के माध्यम से किया गया और रिट एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड चारु माथुर के माध्यम से दायर की गई।

हाल ही में मद्रास हाईकोर्ट ने कहा था कि NEET AIQ में EWS आरक्षण केवल सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी से लागू किया जा सकता है।

केस का शीर्षक: नील ऑरेलियो नून्स एंड अन्य बनाम भारत संघ और अन्य और यश टेकवानी और अन्य बनाम चिकित्सा परामर्श समिति और अन्य

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