'जज को आतंकवादी कहा': सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को रजिस्ट्री को उस पिटीशनर-इन-पर्सन के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी करने का निर्देश दिया, जिसने शीर्ष अदालत के एक न्यायाधीश के खिलाफ प्रारंभिक सुनवाई आवेदन में झूठे आरोप लगाए थे।
बेंच ने कहा,
" ...रजिस्ट्री याचिकाकर्ता को कारण बताओ कारण जारी करेगी कि क्यों न उस पर इस न्यायालय के एक न्यायाधीश को बदनाम करने के लिए आपराधिक अवमानना का मुकदमा चलाया जाए। नोटिस का जवाब तीन सप्ताह भीतर दिया जाए। "
भारत के मुख्य न्यायाधीश, डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की खंडपीठ ने यह देखा कि याचिकाकर्ता व्यक्तिगत रूप से पेश हुआ, उसने बिना शर्त माफी मांगी। इस बात को मद्देनज़ रखते हुए पीठ आदेश दर्ज किया कि अदालत को यह आकलन करने दिया जाए कि माफी वास्तविक है या नहीं। याचिकाकर्ता को अपने आचरण की व्याख्या करने के लिए हलफनामा दायर करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया जाता है।
पीठ ने यह भी नोट किया कि जिस वकील ने पिटीशनर-इन-पर्सन से उसका प्रतिनिधित्व करने का अनुरोध किया था, उसने यह भी कहा था कि वह केवल इस शर्त पर ब्रीफ करेगा कि याचिकाकर्ता बिना शर्त आरोपों को वापस ले लेगा।
सीजेआई इस बात से नाराज़ थे कि सुप्रीम कोर्ट के एक सिटिंग जज के खिलाफ निंदनीय आरोप लगाए गए, जबकि इसकी पुष्टि के लिए रत्ती भर सामग्री भी नहीं थी।
सीजेआई ने कहा,
"आपने सुप्रीम कोर्ट के एक जज के खिलाफ निंदनीय आरोप लगाए हैं। जज की आपके मामले में क्या दिलचस्पी होगी? आप ये सब इसलिए कह रहे हैं क्योंकि वह आपके राज्य से हैं।"
सीजेआई को लगा कि याचिकाकर्ता ने व्यक्तिगत रूप से यह आरोप लगाते हुए कहा था कि उक्त न्यायाधीश एक आतंकवादी हैं।
"आप उन्हें आतंकवादी कह रहे हैं। यह एक सर्विस मैटर है। आप जज के बारे में इस तरह बात करते हैं।"
जस्टिस कोहली ने दोहराया -
"न्यायाधीश को आपके सर्विस मैटर में क्या दिलचस्पी होगी?"
सीजेआई ने टिप्पणी की,
"हम आप पर आपराधिक अवमानना का मुकदमा चलाने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी करेंगे। आपको कुछ समय के लिए सलाखों के पीछे होना चाहिए।"
इसके बाद याचिकाकर्ता ने व्यक्तिगत रूप से माफी मांगते हुए कहा-
"मैं जबरदस्त आघात से गुजर रहा था। कोरोना था ..।"
जस्टिस कोहली ने कहा, "आपकी माफी पर्याप्त नहीं है।"
सीजेआई ने पूछा, "आपने जल्दी सुनवाई के लिए अर्जी कब दाखिल की?"
याचिकाकर्ता ने जवाब दिया, "मार्च, 2021, दूसरी बार जुलाई, 2021 में की।"
जस्टिस हिमा कोहली ने याचिकाकर्ता से पूछा, 'पहली बार में भी आपने इसी तरह की बातें लिखीं?'
जैसा कि याचिकाकर्ता ने हां में जवाब दिया, जज ने जवाब दिया, "बहुत खूब।"
बेंच ने जल्द सुनवाई की अर्जी को खारिज कर दिया और कारण बताओ नोटिस जारी किया।
"शीघ्र सुनवाई के लिए आवेदन के समर्थन में याचिकाकर्ता ने इस न्यायालय के एक न्यायाधीश के खिलाफ निंदनीय आरोप लगाए हैं। हम जल्द सुनवाई के लिए आवेदन पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं। आवेदन खारिज किया जाएगा।"