अमेरिकी प्रोफेसर ने भारतीय नागरिकता अधिनियम की धारा 9 को दी चुनौती, सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 9 को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया। अधिनियम की यह धारा किसी व्यक्ति द्वारा स्वेच्छा से विदेशी नागरिकता प्राप्त करने पर उसकी भारतीय नागरिकता स्वतः समाप्त होने का प्रावधान करती है।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ ने यह आदेश पारित किया और इस मामले को डॉ. राधिका थप्पेटा बनाम भारत संघ मामले के साथ जोड़ दिया, जहां ओसीआई (विदेशी भारतीय नागरिक) का दर्जा रद्द करने का एक समान मामला विचाराधीन है।
खंडपीठ ने याचिकाकर्ता द्वारा दायर अंतरिम आवेदन पर भी नोटिस जारी किया, जिसमें यह प्रार्थना की गई कि विदेशी नागरिकता प्राप्त करने के लिए उसे अपनी भारतीय नागरिकता त्यागने की आवश्यकता न हो। यह तब हुआ जब याचिकाकर्ता की वकील एडवोकेट वारिशा फरासत ने बताया कि इसी तरह की याचिका में सुप्रीम कोर्ट ने यह अनुमति दी थी कि अधिनियम की धारा 9 को चुनौती लंबित होने के कारण पक्षकार को भारतीय नागरिकता त्यागने की आवश्यकता नहीं हो सकती है।
जस्टिस कांत ने फरासत से पूछा,
"आप एक प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं। लेकिन शिकायत क्या है... अगर आप भारतीय नागरिकता की इतनी इच्छुक हैं तो विदेशी नागरिकता त्यागकर भारतीय नागरिकता प्राप्त करें।"
हालांकि, उनकी बात सुनने के बाद खंडपीठ नोटिस जारी करने के लिए तैयार हो गई और मामले को दो हफ़्ते बाद सूचीबद्ध कर दिया।
संक्षेप में मामला
वर्तमान याचिका संजय गुंडलागुट्टा रेड्डी नामक व्यक्ति द्वारा दायर की गई, जो भारतीय मूल के अर्थशास्त्र के प्रोफ़ेसर हैं और पिछले कई वर्षों से न्यूयॉर्क में रह रहे हैं। विदेश में रहने के बावजूद, उन्होंने अपनी भारतीय नागरिकता बरकरार रखी है।
याचिकाकर्ता नागरिकता अधिनियम की धारा 9(1) को चुनौती देते हुए कहते हैं कि यह मनमाना, असंगत और मौलिक संवैधानिक सिद्धांतों का उल्लंघन करने वाला है।
दुनिया भर में गैर-नागरिकों की स्थिति, जिसमें निर्वासन का जोखिम और सीमित अधिकार शामिल हैं, पर प्रकाश डालते हुए उनका तर्क है कि विदेशों में रहने वाले कई भारतीयों को "हॉब्सन चॉइस" का सामना करना पड़ता है - यानी, या तो वे बुनियादी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपने निवास देश की नागरिकता प्राप्त करते हैं, या भारी व्यक्तिगत और व्यावसायिक लागत पर भारतीय नागरिकता जारी रखते हैं।
इस पृष्ठभूमि में यह याचिका भारत के नागरिकता ढांचे पर पुनर्विचार की मांग करती है। याचिका AoR यशवंत सिंह के माध्यम से दायर की गई।
Case Title: SANJAY GUNDLAGUTTA REDDY Versus UNION OF INDIA AND ORS., W.P.(C) No. 731/2025