भ्रष्टाचार, अलगाववाद, आतंकवाद और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में लगातार सजा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट चार हफ्ते बाद करेगा सुनवाई

Update: 2019-11-28 08:19 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की उस याचिका पर चार हफ्तों के बाद सुनवाई करने का फैसला किया है जिसमें भ्रष्टाचार, अलगाववाद, आतंकवाद और मनी लॉन्ड्रिंग के  मामलों में सजायाफ्ता की जेल की सज एक साथ नहीं बल्कि एक के बाद दूसरी लगातार सजा का प्रावधान होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में फिलहाल ये याचिका लंबित है।

उपाध्याय ने गुरुवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की तीन-न्यायाधीश पीठ के समक्ष, जिसमें  जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस  सूर्य कांत भी शामिल हैं, से तत्काल सुनवाई की मांग की। पीठ ने कहा, " हम चार सप्ताह के बाद मामले की सुनवाई करेंगे।"

यह है याचिका 

दरअसल उपाध्याय द्वारा दायर जनहित याचिका में संबंधित अधिकारियों को निर्देश मांगा गया है कि भ्रष्टाचार, अलगाववाद, आतंकवाद और मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में दोषियों की  जेल की सजा लगातार होनी चाहिए और ये समवर्ती न हो।वर्तमान में दोषियों के खिलाफ इन अपराधों पर जेल की सजा समवर्ती होती है यानी एक साथ चलती है।

उपाध्याय ने अपनी जनहित याचिका में कहा है  कि दोषियों और समाज पर एक निवारक प्रभाव होने के लिए सजा को अर्थपूर्ण होना चाहिए। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने अस याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।

Tags:    

Similar News