सुप्रीम कोर्ट ने पुणे में ILS हिल रोड प्रोजेक्ट पर पर्यावरणीय मंज़ूरी मिलने तक रोक लगाई
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को निर्देश दिया कि पुणे में बालभारती-पौड़ फाटा लिंक रोड का हिस्सा ILS हिल रोड प्रोजेक्ट पर पर्यावरणीय मंज़ूरी (EC) मिलने के बाद ही काम शुरू किया जाएगा।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की खंडपीठ टीएन गोदावर्मन मामले में पर्यावरणविद् डॉ. सुषमा दाते की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
खंडपीठ ने निम्नलिखित निर्देश पारित किया:
"हम निर्देश देते हैं कि जब तक पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) द्वारा पर्यावरणीय मंज़ूरी नहीं दी जाती, तब तक प्रोजेक्ट शुरू नहीं की जाएगी। प्रोजेक्ट के लंबे समय से लंबित रहने को ध्यान में रखते हुए हम पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) को 3 महीने के भीतर पर्यावरणीय मंज़ूरी देने के आवेदन पर निर्णय लेने का निर्देश देते हैं।"
पर्यावरणविद् डॉ. सुषमा दाते की ओर से सीनियर एडवोकेट अनीता शेनॉय ने ज़ोर देकर कहा कि प्रस्तावित सड़क एक 'वर्जिन वन पहाड़ी' से होकर गुज़रेगी, जहां 400 से ज़्यादा प्रजातियों के पेड़ हैं, कुल मिलाकर 1700 पेड़ हैं। यह शहर के पश्चिमी हिस्से में भूजल स्तर को बनाए रखने के लिए बेहद ज़रूरी है।
उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट के 2016 के एक पूर्व आदेश का हवाला दिया, जिसमें इस क्षेत्र का ERA (पर्यावरण जोखिम आकलन) करने का निर्देश दिया गया। ERA के लिए सलाहकार पुणे नगर निगम (PMC) द्वारा नियुक्त किए गए और ERA की रिपोर्ट में कहा गया कि एक बार के ERA के बजाय पहाड़ी पर परियोजना के प्रभाव को समझने के लिए चार सीज़न के ERA की सिफ़ारिश की गई। इस प्रकार, उन्होंने पहाड़ी प्रोजेक्ट के संचयी आकलन की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
इंडियन लॉ सोसाइटी (ILS) की ओर से सीनियर एडवोकेट देवदत्त कामत ने यह भी कहा कि उचित आकलन के बिना इस क्षेत्र में सड़क नहीं बनाई जानी चाहिए, क्योंकि ऐसा करना "पूरी तरह से विनाशकारी" होगा। उन्होंने आगे कहा कि प्रोजेक्ट अधिकारियों द्वारा ILS हिल के अधिग्रहण के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा 2005 में जारी यथास्थिति अभी भी लागू है।
सुनवाई के दौरान, चीफ जस्टिस ने पूछा कि क्या यह सड़क पहाड़ी से होकर गुजरती है और क्या इससे पहाड़ी किसी भी तरह प्रभावित होती है।
PMC की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जवाब दिया कि यह सड़क वन क्षेत्र से होकर नहीं गुजरती। उन्होंने स्पष्ट किया कि नक्शे के अनुसार, एलिवेटेड रोड के खंभे पहाड़ी के नीचे होंगे।
उन्होंने आगे कहा कि PMC के अनुसार, प्रोजेक्ट सड़क को 'विकास योजना' सड़क के रूप में चिह्नित किया गया और नियमों के अनुसार इसके लिए पर्यावरण मंजूरी की आवश्यकता नहीं है। यह परियोजना 600 मीटर क्षेत्र में लगे कई पेड़ों को प्रभावित करेगी, जिसके लिए सॉलिसिटर जनरल ने सुझाव दिया कि वनरोपण के उपाय किए जाएंगे।
Case Details : IN RE : T.N. GODAVARMAN THIRUMULPAD Versus UNION OF INDIA AND ORS.|W.P.(C) No. 202/1995