भीमा कोरेगांव मामले में ज्योति जगताप को सुप्रीम कोर्ट से मिली अंतरिम ज़मानत
सुप्रीम कोर्ट ने भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद मामले में एक्टिविस्ट और सांस्कृतिक संगठन कला कबीर मंच की सदस्य ज्योति जगताप को अगली सुनवाई, जो फरवरी 2026 में है, तक अंतरिम ज़मानत दी।
जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश पारित किया। जगताप की ओर से सीनियर एडवोकेट अपर्णा भट्ट ने खंडपीठ को बताया कि वह पाँच साल से ज़्यादा समय से हिरासत में हैं।
खंडपीठ अगली सुनवाई तक अंतरिम ज़मानत देने पर सहमत हो गई।
गौरतलब है कि इसी खंडपीठ ने हाल ही में सह-आरोपी महेश राउत को भी मेडिकल आधार पर 6 हफ़्ते की अंतरिम ज़मानत दी थी, जिसे बाद में 26 नवंबर तक बढ़ा दिया गया। वह जून 2018 में अपनी गिरफ्तारी के बाद से हिरासत में हैं। राउत के मामले का ज़िक्र सीनियर एडवोकेट सी.यू. सिंह ने भी किया और अदालत ने उनकी अंतरिम ज़मानत सुनवाई के अगले दिन तक बढ़ा दी।
जगताप और 16 अन्य लोगों पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने पुणे के भीमा कोरेगांव में हुई जातीय हिंसा के लिए ज़िम्मेदार होने का आरोप लगाया था।
पुणे पुलिस (बाद में NIA) ने तर्क दिया कि एल्गर परिषद – कोरेगांव भीमा युद्ध की 200वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम – में दिए गए भड़काऊ भाषणों के कारण महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव गाँव के पास मराठा और दलित समूहों के बीच हिंसक झड़पें हुईं। इसके बाद हिंसा की कथित साजिश रचने और योजना बनाने के आरोप में 16 एक्टिविस्ट को गिरफ्तार किया गया। उन पर मुख्य रूप से उनके इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से प्राप्त पत्रों और ईमेल के आधार पर UAPA के विभिन्न प्रावधानों के तहत आरोप लगाए गए।
फरवरी 2022 में स्पेशल NIA कोर्ट ने जगताप की ज़मानत याचिका खारिज की, जिसे बाद में अक्टूबर में बॉम्बे हाईकोर्ट ने बरकरार रखा। उनकी अर्जी खारिज करते हुए हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने कहा कि कबीर कला मंच के नाटकों के संवाद, जिनमें 'राम मंदिर', 'गोमूत्र' और 'अच्छे दिन' जैसे शब्दों/वाक्यांशों का उपहास किया गया- जो लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार पर निशाना साधते थे - नफरत भड़काते हैं और एक बड़ी साजिश का संकेत देते हैं।
राउत को 21 सितंबर, 2023 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुण-दोष के आधार पर ज़मान दी थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने NIA को अपील दायर करने के लिए एक सप्ताह के लिए आदेश पर रोक लगा दी थी।
इसके बाद NIA ने कोर्ट में अपील दायर की, जिसे जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की खंडपीठ ने स्वीकार कर लिया और हाईकोर्ट द्वारा दी गई एक सप्ताह की रोक को 5 अक्टूबर, 2023 तक बढ़ा दिया। तब से रोक को समय-समय पर बढ़ाया जाता रहा है।
Case Details: JYOTI JAGTAP v NATIONAL INVESTIGATING AGENCY AND ANR|Crl.A. No. 2598/2023 and THE NATIONAL INVESTIGATION AGENCY v MAHESH SITARAM RAUT AND ANR.|Crl.A. No. 3048/2023