'हम उपयुक्तता में नहीं जा सकते': सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस विक्टोरिया गौरी की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने के कारण बताए

Update: 2023-02-10 06:27 GMT

Justice Victoria Gowri

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मद्रास हाईकोर्ट के एडिशनल जज के रूप में जस्टिस विक्टोरिया गौरी की नियुक्ति को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं को खारिज करने के कारण बताए।

जस्टिस संजीव खन्ना ने शुक्रवार को आदेश सुनाते हुए कहा,

"हमने एक छोटा आदेश पारित किया है। हमने संवैधानिक पीठ के फैसले का पालन किया है और कहा है कि हम उपयुक्तता के सवाल पर नहीं जा सकते।"

जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बीआर गवई की खंडपीठ ने मंगलवार को मद्रास हाईकोर्ट के एडिशनल जज के रूप में गौरी की नियुक्ति के खिलाफ याचिकाओं को खारिज कर दिया था।

गौरी के कुछ आर्टिकल्स और बयानों की ओर इशारा करते हुए याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि वो एक जज बनने के लिए अयोग्य हैं क्योंकि उनके बयानों में अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत फैलाने वाले बयान हैं।

याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने टिप्पणी की थी कि वह यह नहीं मान सकती कि कॉलेजियम को गौरी की राजनीतिक पृष्ठभूमि या उनके विवादास्पद बयानों की जानकारी नहीं थी।

पीठ ने आगे कहा था कि वह इस स्तर पर "उपयुक्तता" के सवाल पर नहीं जा सकती है।

मंगलवार को एक तरफ एडवोकेट विक्टोरिया गौरी की एडिशनल जज के रूप में नियुक्ति के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी वहीं दूसरी तरफ मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने उन्हें शपथ दिलाई।

पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 17 जनवरी को उच्च न्यायालय में पदोन्नति के लिए गौरी और चार अन्य वकीलों के नाम का प्रस्ताव दिया था। कॉलेजियम में चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस के.एम. जोसेफ शामिल थे।

केंद्र ने 6 फरवरी को उनकी नियुक्ति को अधिसूचित किया था। लेकिन कई वकीलों ने वकील गौरी को जज बनाने का विरोध किया। विरोध करने वाले वकीलों ने नामांकित गौरी की राजनीतिक संबद्धता पर प्रकाश डाला, जो भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा की महासचिव हैं।

आरोप था कि गौरी ने इंटरव्यू में धार्मिक अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुसलमानों और ईसाइयों के खिलाफ 'अभद्र भाषा' का इस्तेमाल किया है।

वकीलों का कहना था,

"गौरी के बयाने से पता चलता है कि क्या मुस्लिम या ईसाई समुदाय से संबंधित कोई भी वादी कभी जज बनने पर अपने न्यायालय में न्याय पाने की उम्मीद कर सकता है?"

वकीलों ने 2 फरवरी, 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को पत्र लिख कर नियुक्ति को रद्द करने की मांग की थी।

मद्रास हाईकोर्ट बार के सदस्य (वकील एन.जी.आर. प्रसाद, आर. वैगई, एस.एस. वासुदेवन, अन्ना मैथ्यू, और डी. नागासैला) ने आरोप लगाया कि गौरी के 'प्रतिगामी विचार' मूलभूत संवैधानिक मूल्यों के लिए पूरी तरह से 'विपरीत' हैं और उनकी गहरी धार्मिक कट्टरता को दर्शाते हैं जो उन्हें हाईकोर्ट के जज के रूप में नियुक्त किए जाने के लिए अयोग्य बनाती हैं।

वकीलों ने प्रस्ताव को वापस लेने का आग्रह किया था।

वकीलों ने कहा था कि इस तरह की नियुक्तियां न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कम करने का मार्ग प्रशस्त कर सकती हैं। इस समय, संस्थान को अपनी प्रशासनिक कार्रवाई से कमजोर होने से बचाने के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है।

इसी कड़ी में, गौरी के मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने से एक दिन पहले एक रिट याचिका भी दायर की गई थी, जिसमें सीनियर एडवोकेट राजू रामचंद्रन ने मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ को तत्काल लिस्टिंग के लिए कहा था।

मुख्य न्यायाधीश ने यह खुलासा करते हुए कि कॉलेजियम ने गौरी के खिलाफ शिकायतों का संज्ञान लिया है, मंगलवार को मामले को सूचीबद्ध करने पर सहमत हुए, उसी दिन गौरी ने शपथ ली।


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