सुप्रीम कोर्ट ने अग्निपथ योजना के बाद रद्द की गई सेना और वायु सेना की पिछली भर्ती प्रक्रियाओं को पूरा करने की मांग वाली याचिका खारिज की

Update: 2023-04-10 07:37 GMT

सेना में भर्ती के लिए लाई गई अग्निपथ योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अग्निपथ की वैधता को सही ठहराने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। कोर्ट ने कहा- ये योजना मनमानी नहीं है। याचिकाओं में भारतीय सेना और वायु सेना के लिए शुरू की गई भर्ती प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी। बता दें, भर्ती प्रक्रिया जून 2022 में 'अग्निपथ' योजना की घोषणा के बाद बंद कर दिया गया था।

चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने मामले की सुनवाई की। याचिका खारिज करते हुए कहा कि उम्मीदवारों के पास भर्ती प्रक्रिया को पूरा करने का कोई निहित अधिकार नहीं है।

सीजेआई ने आगे कहा कि इसमें हस्तक्षेप करने के लिए कुछ भी नहीं है। ये सार्वजनिक रोजगार का मामला है, कॉन्ट्रैक्ट का नहीं।

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश एडवोकेट अरुणव मुखर्जी ने कहा कि वो इस योजना को चुनौती नहीं दे रहे हैं। याचिका भारतीय सेना और वायु सेना के लिए पहले अधिसूचित भर्ती प्रक्रियाओं को पूरा करने की मांग करती है।

आगे कहा कि केंद्र सरकार ने COVID का हवाला देते हुए कई बार परीक्षा स्थगित की और जून में अचानक अग्निपथ योजना की घोषणा की गई। परीक्षाएं कभी रद्द नहीं की गईं और केवल स्थगित की गईं।

इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि उम्मीदवारों के पास भर्ती प्रक्रिया को पूरा करने का कोई निहित अधिकार नहीं है। ये योजना मनमानी नहीं है।

वहीं, अग्निपथ योजना के लागू होने से पहले भारतीय वायुसेना में भर्ती से संबंधित मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण पेश हुए. उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ताओं को कई टेस्ट से गुजरने के बाद प्रोविजनल लिस्ट में रखा गया था। फिर एक साल तक वे कहते रहे कि अपॉइंटमेंट लेटर जारी किए जाएंगे, लेकिन टालते रहे। हम पूरी प्रक्रिया से गुजरे और फिर भी भर्ती नहीं हुई। तीन साल से वे इंतजार कर रहे हैं।

इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। सुप्रीम कोर्ट 17 अप्रैल को सुनवाई करेगा।

दरअसल, फरवरी में दिल्ली हाईकोर्ट ने अग्निपथ योजना को सही ठहराया था। योजना को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी थी. इसके चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की गईं थीं।

हाईकोर्ट ने कहा था कि जब तक सरकार के नीतिगत फैसले मनमाने, भेदभावपूर्ण या संविधान के किसी प्रावधान और कानून का उल्लंघन नहीं करते हैं तो ये अदालत इस तरह के नीतिगत फैसलों पर सवाल नहीं उठा सकती।

क्या है अग्निपथ स्कीम?

अग्निपथ स्कीम की शुरआत जून 2022 में हुई। स्कीम के तहत साढ़े 17 से 23 वर्ष की आयु के लोग सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए आवेदन कर सकते हैं, जिनका कार्यकाल चार साल का होगा। ज्यादातर लोगों चार साल की सेवा के बाद सर्विस से बाहर हो जाएंग। केवल 25 प्रतिशत को ही अगले 15 साल के लिए सेवा जारी रखने के लिए चुना जाएगा। योजना का देश भर में कड़ा विरोध हुआ था।

केस टाइटल : गोपाल कृष्ण और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य एसएलपी (सी) संख्या 5203/2023, मनोहर लाल शर्मा बनाम भारत संघ और अन्य एसएलपी (सी) संख्या 4710/2023


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