"यह का नीतिगत मामला": सुप्रीम कोर्ट ने स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी को ठीक करने वाली दवाओं पर जीएसटी से छूट की मांग वाली याचिका खारिज की
सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) को ठीक करने के लिए दवाओं पर से जीएसटी को हटाने की मांग वाली याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह एक 'नीतिगत निर्णय' है।
याचिकाकर्ता एसएमए से पीड़ित मरीजों के इलाज पर जीएसटी से छूट की मांग कर रहा था। उन्होंने प्रस्तुत किया कि एसएमए के लिए दवाओं का निषेधात्मक मूल्य है। जोलेग्सनामा की एक डोज की कीमत 17 करोड़ रुपये है। याचिका में कहा गया है कि जीएसटी का हिस्सा ही 2.5 करोड़ से ऊपर होगा।
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा,
"पहले से ही एक नीति है। यह एक नीतिगत मामला है। इसे किस कीमत पर बेचा जाना है, यह सरकार द्वारा तय किया जाता है।"
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि घरेलू बिक्री के लिए कोई विशेष छूट नहीं है। इस तरह की सभी एसएमए दवाएं आयात की जाती हैं।"
कोर्ट ने आदेश दिया,
"आखिरकार यह सरकार को नीतिगत निर्णय लेना है कि क्या दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए किसी भी दवा पर आईजीएसटी, सीजीएसटी, एसजीएसटी या सीमा शुल्क से पूरी तरह छूट दी जाए। सरकार को दवाओं पर टैक्स या शुल्क के भुगतान से छूट देने का निर्देश देने के लिए परमादेश का कोई रिट जारी नहीं किया जा सकता है।"
पीठ ने केंद्र से संपर्क किए बिना एसएमए दवाओं के सभी आयात की अनुमति देने का अनुरोध करते हुए याचिका में अन्य प्रार्थना को भी लेने से इनकार कर दिया।
पीठ ने आदेश दिया,
"हम केंद्र से संपर्क किए बिना सीधे दवाओं के आयात के लिए प्रार्थना पर विचार नहीं कर सकते हैं। केंद्र द्वारा दवाओं को मंजूरी देने के कई कारण हैं। इसलिए, याचिकाकर्ता किसी भी राहत के हकदार नहीं हैं। याचिका खारिज की जाती है।"
खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं को एक प्रतिनिधित्व के साथ संबंधित सरकारी प्राधिकरण से संपर्क करने की स्वतंत्रता दी।
केस टाइटल: क्योर एसएमए फाउंडेशन ऑफ इंडिया व अन्य बनाम भारत सरकार और अन्य | डब्ल्यूपी(सी) संख्या 1053/2022