सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों से मिलने के लिए अधिक समय की मांग करने वाली सुकेश चंद्रशेखर और उसकी पत्नी की याचिका खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने कथित ठग सुकेश चंद्रशेखर और पत्नी लीना पॉलोज द्वारा जेल अधिकारियों द्वारा परिवार, दोस्तों और कानूनी प्रतिनिधियों से मिलने के लिए आवंटित मुलाक़ात के समय को बढ़ाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है।
कोर्ट ने देखा कि आरोपी व्यक्ति इस तरह के 'विशेषाधिकार' मांगने और ऐसी 'असाधारण मांग' करने की स्थिति में नहीं हैं। इसे देखते हुए जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की खंडपीठ ने याचिका खारिज कर दी।
दोनों आरोपी व्यक्तियों की ओर से पेश वकील ने बेंच को अवगत कराया कि जेल के नियमों के अनुसार, उनके मुवक्किलों को परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों, दोस्तों और कानूनी सलाहकारों से मिलने और बातचीत करने की सुविधा प्रदान की जाती है। हालांकि, उन्होंने कहा कि उन्हें सप्ताह में दो बार केवल 30 मिनट के लिए उक्त सुविधा की अनुमति है। उन्होंने अपनी कठिनाई का हवाला देते हुए उक्त समय बढ़ाने की मांग की। उन्होंने प्रस्तुत किया कि देश भर में अभियुक्तों के खिलाफ 28 मामले लंबित हैं, जिसके लिए 10 से अधिक वकीलों को लगाया गया है, और जेल नियमों के अनुसार आवंटित मुलाक़ात का समय पर्याप्त नहीं है। यह तर्क दिया गया था कि यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 22(1) के तहत परिकल्पित कानूनी प्रतिनिधित्व के अधिकार का उल्लंघन करता है।
खंडपीठ ने इस सबमिशन पर आपत्ति जताई कि आरोपी व्यक्ति ऐसी असाधारण मांग कर सकते हैं। जस्टिस रस्तोगी ने वकील से कहा,
“वकीलों की सूची दीजिए। हम जेल अधिकारियों से पूछेंगे और उन्हें जेल में ही रखेंगे। रोज उनसे मिलने जाने के बजाय वकीलों को उनके साथ अंदर रहने दें।”
पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने सुकेश और उनकी पत्नी लीना पॉलोज को तिहाड़ जेल से मंडोली जेल ट्रांसफर करने का निर्देश दिया था, दोनों ने तिहाड़ जेल अधिकारियों से उत्पीड़न और डराने-धमकाने की शिकायत की थी। हालांकि, कोर्ट ने उसे दिल्ली-एनसीआर से बाहर जेल में शिफ्ट करने की उसकी याचिका खारिज कर दी थी।
बाद में, पिछले साल अक्टूबर में, अदालत ने उनके द्वारा मंडोली से दिल्ली-एनसीआर के बाहर एक जेल में ट्रांसफर करने की मांग वाली एक अन्य याचिका को खारिज कर दिया था।
[केस टाइटल:सुकश चंद्रशेखर बनाम यूओआई और अन्य। WP(CRL) सं. 192/2023]