सुप्रीम कोर्ट ने एडवोकेट लक्ष्मण चंद्र विक्टोरिया गौरी को मद्रास हाईकोर्ट में बतौर जज नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिका खारिज की
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एडवोकेट लक्ष्मण चंद्र विक्टोरिया गौरी को मद्रास हाईकोर्ट में बतौर जज नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिका खारिज की।
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने कहा कि ये नहीं माना जा सकता है कि कॉलेजियम गौरी की राजनीतिक पृष्ठभूमि या उनके आर्टिकल से अवगत नहीं था जो बाद में सार्वजनिक डोमेन में सामने आए।
पीठ ने कहा कि उन्हें केवल एक अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया जा रहा है और ऐसे उदाहरण हैं जहां व्यक्तियों की पुष्टि नहीं की गई है।
पीठ मद्रास हाईकोर्ट के वकीलों द्वारा दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने गौरी की हाईकोर्ट के जज होने की योग्यता को इस आधार पर चुनौती दी थी कि उन्होंने धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ घृणास्पद भाषण दिए हैं।
आरोप है कि गौरी भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा की महासचिव हैं।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 17 जनवरी को उनके नाम की सिफारिश करने के बाद, उनके द्वारा सांप्रदायिक तर्ज पर लिखे गए तीन विवादास्पद लेख सार्वजनिक डोमेन में सामने आए।
इन सबके आधार पर याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
सुनवाई के दौरान सीनियर एडवोकेट राजू रामचंद्रन ने प्रस्तुत किया कि उनकी चुनौती गौरी की राजनीतिक पृष्ठभूमि पर आधारित नहीं है बल्कि उनकी चिंता उनके आर्टिकल में कथित 'घृणास्पद भाषण' को लेकर है।
जस्टिस खन्ना ने कहा कि गौरी की नियुक्ति के संबंध में मुद्दा योग्यता का नहीं बल्कि उपयुक्तता का है। पात्रता पर, एक चुनौती हो सकती है, लेकिन उपयुक्तता पर। अदालतों को उपयुक्तता में नहीं पड़ना चाहिए अन्यथा पूरी प्रक्रिया गड़बड़ हो जाएगी।”
उन्होंने यह भी कहा कि अदालत न्यायिक पक्ष पर कॉलेजियम को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का निर्देश नहीं दे सकती है।
उन्होंने कहा,
"यह मान लेना कि कॉलेजियम ने इन बातों पर ध्यान नहीं दिया, यह उचित नहीं होगा।"